उत्तरप्रदेश रोपेगा इस साल 2025 मे 35 करोड़ पौधें, हुजूर ये आंकड़ों की इबारत बहुत पेचीदा है !!! | Soochana Sansar

उत्तरप्रदेश रोपेगा इस साल 2025 मे 35 करोड़ पौधें, हुजूर ये आंकड़ों की इबारत बहुत पेचीदा है !!!

@आशीष सागर दीक्षित ✒️,बाँदा।www.ashishsagarptb.com

लखनऊ/बाँदा। उत्तरप्रदेश सरकार हर साल की तरह इस बार वर्ष 2025-26 मे भी वार्षिक पौधरोपण के मेला अर्थात पौधरोपण अभियान का आगाज आगामी के जुलाई से 7 जुलाई के मध्य करेगी। इसकी तैयारी हेतु सभी डीएम सहित संबंधित आला अफसरों को दिशानिर्देश शासन स्तर से दिये जा चुकेहै। अफसरों द्वारा इस क्रम मे बैठकों का दौर जारी है। बुंदेलखंड मे भी वार्षिक कीर्तिमान पौधरोपण को सुगम व सफल बनाने हेतु कमर कसी जा रही है। इस बार तो आंकड़ा 35 करोड़ है !!! इतनी बड़ी संख्या मे पौधरोपण नर्सरियों का भी सतही मूल्यांकन हो सकता है वनविभाग के वरिष्ठ अफसरों ने लखनऊ से बैठकर कर लिया होगा। यह नर्सरी कहां पौधरोपण तैयार करती है। सितंबर से मार्च के बीच बोना नालियों, बीजारोपण,साइट सर्वेक्षण, पुराने पौधरोपण के फेलियर पर उन स्थानों मे नया पौधरोपण करना और किये जा चूके पौधरोपण को संरक्षण देना यह बड़ा ईमानदारी का पर्यावरणीय कार्य है। अब एक ही ज़िलेमे वर्षो से नियुक्त डीएफओ, वनरेंजर की बड़ी लिस्ट और गाहेबगाहे हरित भ्रस्टा रोपण पर आप इतनी उम्मीद तो कर सकतें है। तब जबकिं सूबे मे स्कूटर,जेसीबी के फर्जी वाहन नम्बरों से पौधरोपण के गड्ढे खोदे जाते हो। जैसे जायका परियोजना व पूर्व मे लंबित जांच कार्यवाही पर हुआ था। लेकिन किसी अफसर का बिगड़ा कुछ नही भले ही भ्रष्टाचार की खबरों से समाज दुःख मे हासिये पर जाते पर्यावरण को देखता रहता है।

विगत सात वर्षों मे रोपित पौधों की संख्या:-

आंकड़े बतलाते है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 मे 5.72 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 मे 11.77 करोड़, वित्तीय वर्ष 2019-20 मे 22.60 करोड़, वित्तीय वर्ष 2020-21 मे 25.87 करोड़, वित्तीय वर्ष 2021-22 मे 30.53 करोड़, वित्तीय वर्ष 2022-23 मे 35.49 करोड़, वित्तीय वर्ष 2023-24 मे 36.16 करोड़, वित्तीय वर्ष 2024-25 मे 36.74 करोड़ पौधरोपण उत्तरप्रदेश सरकार ने विगत सात वर्ष के दरम्यान किया है। कुल 204.88 करोड़ इनकी संख्या आंकड़ों मे है। इनका दावा है 70 से 80 फीसदी पौधें इसमें जीवित है। वहीं इस वर्ष यूपी सरकार ने 2025 का पौधरोपण लक्ष्य 35 करोड़ रखा है। यह एक जुलाई से प्रारंभ होगा जो सितंबर तक चलेगा। जिसमें अकेले चित्रकूट मंडल के बाँदा 64 लाख से अधिक पौधरोपण किया जाना है।


साल 2025-26 मे विभागवार पौधरोपण लक्ष्य


सूबे के मुख्यमंत्री योगी जी की सरकार ने हरियाली और खुशहाली के सब्जबाग मे विभागों को विगत वर्षों की तर्ज पर 35 करोड़ पौधरोपण की ज़िम्मेदारी दी है। डेटासीट पर नजर दे तो राजस्व विभाग 1.06 करोड़ पौधरोपण, पंचायतीराज विभाग 1.28 करोड़ पौधरोपण, उद्यान विभाग 1.55 करोड़ पौधरोपण, कृषि विभाग 2.50 करोड़ पौधरोपण,वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग 14 करोड़ पौधरोपण,ग्राम्य विकास विभाग 12.59 करोड़ पौधरोपण, अन्य विभाग 2.02 करोड़ पौधरोपण करेंगे। उल्लेखनीय है यूपी सरकार ने जिला स्तर पर जिलाधिकारी को इस बावत पौधरोपण एवं पर्यावरण / गंगा समिति के सौजन्य से दिशानिर्देश देने को निर्देश जारी किए है।

यूपी मे वर्ष 2024-25 मे पौधरोपण के पांच शीर्ष जनपद :-
यूपी के खनन क्षेत्र सोनभद्र मे 1.53 करोड़, झांसी मे 97 लाख, लखीमपुर मे 95 लाख, जालौन मे 94 लाख, मिर्जापुर मे 93 लाख पौधरोपण किये जाने का दावा है।
वहीं अन्य जनपदों मे इनकी संख्या प्रकाशित विज्ञापन के मुताबिक ललितपुर मे 88 लाख,प्रयागराज मे 75 लाख, हमीरपुर मे 74 लाख, चित्रकूट मे 73 लाख, महोबा मे 71 लाख, बाँदा मे 66 लाख, बहराइच मे 69 लाख, इटावा मे 64 लाख, चंदौली मे 62 लाख, कानपुर देहात मे 61 लाख, बिजनौर मे 59 लाख, आजमगढ़ मे 57 लाख, सुल्तानपुर मे 54 लाख और लखनऊ मे 41 लाख बतलाई गई है।


फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 मे प्रकाशित रिपोर्ट मुताबिक बुंदेलखंड के वनक्षेत्र-

वर्ष 2021 मे एफएसआई ने देश के जंगलों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसके अनुसार यूपी बुंदेलखंड के 7 जिलों मे क्रमशः वनक्षेत्र निम्न था। बाँदा 2.31 %,चित्रकूट 19.64%, महोबा 5.14%, जालौन 5.42%, हमीरपुर 5.65 %, झांसी 6.05%, ललितपुर 11.54% कुल जनपदीय भूभाग का वनक्षेत्र था।

गौरतलब है दैनिक समाचार पत्र अमरउजाला मे बीते 5 जून को छपे एक पेज अखबारी विज्ञापन मे पब्लिश हरियाली और खुशहाली के आंकड़े बड़े चौकानें वाले है। पिछले 11 वर्षों मे बुंदेलखंड समेत यूपी मे जितना पौधरोपण हुआ है यदि वह वास्तविकता मे मुक्कमल होता तो लोगों के आवासीय निर्माण को ज़मीन कम पड़ने लगती। किंतु आंकड़े पब्लिक डोमेन मे देने से पूर्व उक्त अखबार अथवा अन्य किसी निष्पक्ष मिडिया / स्वतंत्र एजेंसी ने ग्राउंड अनुश्रवण विशेषज्ञ द्वारा नही कराया है। आज तक सरकार ने सैटलाइट फोटोग्राफी भी जनता के सामने नही रखी है। ज्यादातर बबूल के झाड़-झखाड़ के बीच आंशिक जीवित पेड़ ही यहां जंगल है। जबकि जंगल एक सतत दीर्घकालिक उगने व निर्माण होने वाली प्रक्रिया है। उपरोक्त विज्ञापन साल 2025 मे यूपी सरकार ने दो बार प्रकाशित कराया है। इस पौधरोपण का सरकार ने भी कभी सत्यापन, अनुश्रवण, विश्लेषण इस वर्ष या पूर्व के वर्षों मे नही किया है।

हां इनकी खबरें ज़रूर स्रोतों के माध्यम से प्रकाशित हुई है। अलबत्ता ज़मीनी मूल्यांकन मीडिया हाउस नही करते है। बड़ी गफलत ये है कि सरकारी विज्ञप्ति की भांति छपी खबरों एवं विज्ञापन मे उत्तरप्रदेश के रहवासियों को हरियाली का आभास होते रहना चाहिए। ताकि पौधरोपण के वार्षिक जलसा इवेंट्स मे सवाल-जवाब की गुंजाइश बची न रहे। बतलाते यह चले कि हमारे यूपी मे चार बार पौधरोपण का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड भी बन चुका है। मालूम ये भी रहे कि दो दशकीय इस पौधरोपण घोटाले पर बुंदेलखंड के संदर्भ मे बाँदा से वर्ष 2020 मे एक जनहित याचिका 1874/2020 इलाहाबाद उच्चन्यायालय तक पहुंची थी जो लंबित है। लेकिन शिथिल न्यायपालिका की लचर कार्यप्रणाली के चलते मामला निस्तारण व जांच तक नही पहुंच पा रहा है। अब तक तीन चीफ जस्टिस हाईकोर्ट मे आये किंतु पर्यावरणीय पीआईएल हासिये पर पड़ी है। सवाल यह कि यूपी सरकार के इस मसले पर ज़िम्मेदार अफसरों खाशकर वनविभाग के कद्दावर अधिकारियों पर कार्यवाही कौन करेगा मूल अड़चन यहीं अटकी है। बाकी न्यायपालिका मे जजों की कमी और केसों की लंबी फेहरिस्त भी याचिकाओं के निस्तारण न होने का एक बड़ा कारण है।

बावजूद इसके सत्तारूढ़ दल की विडंबना तो देखिए हुजूर सरकार को एक पेड़ माँ के नाम जनता से लगवाना है, लेकिन एक्सप्रेस-वे, केन-बेतवा लिंक आदि पर लाखों बुजुर्ग पेड़ कटवाना है। ऐसे मे पौधरोपण के सलाना बढ़ते पौधरोपण आंकड़ों पर निष्पक्ष ज़मीनी आंकलन मुनासिब होगा यह अनबूझ पहेली लगता है। उधर यूपी बुंदेलखंड के वनविभाग द्वारा सूचना अधिकार के दस्तावेजों को देखेंगे तो महज 6 फीसदी जंगल और गिरते वनक्षेत्र का आंकड़ा मुंह बाए बैठा है।

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