बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत के साथ बहुमत मिला है। टीएमसी को चुनाव में 294 में से 213 सीटों पर जीत मिली है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले खुद नंदीग्राम से अपनी सीट नहीं बचा पाईं लेकिन जल्द ही वह मुख्यमंत्री की शपथ लेंगी। आज शाम सात बजे ममता बनर्जी राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी।माना जा रहा है कि अगले एक दो दिन में ही सादा समारोह आयोजित कर ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेंगी। सूत्रों का कहना है कि बंगाल में कोरोना के मामले लगातार बढ़ने के बाद पार्टी ने कोई बड़ा समारोह आयोजित ना करने का फैसला लिया है।
ममता बनर्जी खुद नाक का प्रश्न बनी नंदीग्राम की सीट से हार गई हैं। उन्हें कभी उन्हीं के खास सिपाहसालार रहे भाजपा के सुवेंदु अधिकारी ने उतार-चढ़ाव भरे मुकाबले में मामूली अंतर से हराया है। इस पर ममता बनर्जी ने अदालत की शरण लेने की बात की है। रोचक बात यह है कि टीएमसी सुप्रीमो भले ही चुनाव हार गई हों, लेकिन मुख्यमंत्री बनने की राह में उन्हें कोई परेशानी नहीं है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत वह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं।अनुच्छेद 164 (4) कहता है, ‘एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उसे पद छोड़ना पड़ेगा।
इसका मतलब यह है कि ममता बनर्जी को छह महीने के भीतर किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आना होगा। 2011 में भी जब ममता बनर्जी ने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब वह संसद सदस्य थीं। उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। कुछ महीनों के बाद वह भवानीपुर से चुनी गई थीं।अनुच्छेद 164 (4) कहता है, ‘एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उसे पद छोड़ना पड़ेगा।’ इसका मतलब यह है कि ममता बनर्जी को छह महीने के भीतर किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आना होगा। 2011 में भी जब ममता बनर्जी ने पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब वह संसद सदस्य थीं। उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। कुछ महीनों के बाद वह भवानीपुर से चुनी गई थीं।