बेमियादी आंदोलन शुरू कर देंगे विद्युतकर्मी, तब क्या होगा? | Soochana Sansar

बेमियादी आंदोलन शुरू कर देंगे विद्युतकर्मी, तब क्या होगा?

बेमियादी आंदोलन शुरू पर जा सकते हैं पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारी

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारी यदि आंदोलन पर गये तो आपूर्ति सुचारु रखना चुनौती होगी।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारी यदि आंदोलन पर गये तो आपूर्ति सुचारु रखना चुनौती होगी।

लखनऊ। प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विरोध जारी है। वहीं, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के  प्रस्ताव के विरोध में विद्युत्  कर्मचारी बेमियादी आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

विद्युत्  कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिन से महात्मा गांधी के जन्मदिन तक ‘ज्ञापन दो’ अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

बेमियादी आंदोलन की शुरुआत 25 सितंबर से होगी। इस दिन से प्रारंभ हो रहे ज्ञापन दो अभियान के अंतर्गत बिजली कर्मी पूरे प्रदेश में  लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों  व विधान सभा तथा विधान परिषद के सदस्यों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन देंगे।

बिजलीकर्मियों पर भरोसा रखें, निजीकरण का प्रस्ताव रद करें

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष  प्रबंधन की विफलता की ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यानाकर्षण करते हुए उनसे अपील की है की महामारी के दौरान कोरोना  योद्धा की तरह निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाए रखने वाले बिजलीकर्मियों पर भरोसा रखा जाए और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाए।

बेमियादी आंदोलन की चेतावनी

संघर्ष समिति के  केंद्रीय पदाधिकारियों के  21 सितंबर से प्रांतव्यापी दौरे प्रारंभ हो रहे  है। संघर्ष समिति ने पुनः चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के विघटन व निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी उसी क्षण बेमियादी आंदोलन, जिसमे पूर्ण हड़ताल भी होगी, प्रारम्भ कर देंगे। इसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन व सरकार की होगी।

‘ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह विफल’

संघर्ष समिति ने बिजली कर्मियों से बेमियादी आंदोलन के तहत अनिश्चितकालीन हड़ताल और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों वी पी सिंह ,प्रभात सिंह, जी वी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल, विनय शुक्ल, डी के मिश्र ने बताया की ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है  और अपनी विफलता छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण थोपा  जा रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव पैदा किया जा रहा है।

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि  ऊर्जा निगमों  का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर  इंजीनियरों और  अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल रहा है।संघर्ष समिति ने विघटन और निजी करण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर पढ़ने वाले प्रतिगामी प्रभाव और उपभोक्ताओं के लिए बेतहाशा महंगी बिजली के रूप में आने वाली कठिनाई की ओर भी सरकार व प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया है ।

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