भगवान कहाँ रहते हैं पूजा के लिये बुलवाया…..

भगवान कहाँ रहते हैं
एक ब्राह्मण था, वह अपने यजमानों के घरों पर जाकर पूजा पाठ करके  अपना जीवन यापन किया करता था। एक बार उस ब्राह्मण को नगर के सबसे धनाड्य व्यक्ति  ने पूजा के लिये बुलवाया ।

वह ब्राह्मण नगर के सबसे धनी व्यक्ति बुलावा पाकर प्रशन्नता व उल्लास के साथ  पूजा करने गया। पूजा सम्पन्न कराकर जब ब्राह्मण घर को लौटने लगा, तब उस धनवान व्यक्ति ने ब्राह्मणसे एक सवाल किया,

“हे ब्राह्मण देव ! आप भगवान की पूजा करते हैं तो यह बतायें कि भगवान कहाँ रहते हैं ? उनकी नजर किस ओर है

और भगवान क्या कर सकते हैं ?उस धनवान के प्रश्न को सुन ब्राह्मण अचंभित हो गया और कुछ समय विचार करने के बाद उसने धनवान से कहा, “महोदय ! इस सवाल के जवाब के लिए मुझे समय दीजिए।”


* उस धनवान व्यक्ति ने ब्राह्मण को एक माह का समय दिया और कहा सही उत्तर देने पर आपको एक बहुत बड़ी राशि इनाम में दूंगा जिससे आपकी गरीबी दूर हो जाएगी। ब्राह्मण अपने घर में प्रतिदिन इसी सोच में उलझा रहता

कि इसका जवाब क्या होगा। ऐसा करते-करते समय बीतता गया और एक माह का समय खत्म होने में कुछ ही दिन शेष रह गये। समय बीतने के साथ ब्राह्मण की चिंता भी बढ़ने लगी और वो जवाब न मिलने के कारण ब्राह्मण उदास रहने लगा।


*एक दिन ब्राह्मण को चिंतित देख ब्राह्मण के पुत्र ने कहा, पिता जी आप इतने उदास क्यों हैं।*
*तब ब्राह्मण ने कहा, “बेटा ! कुछ दिनों पहले में पूजा कराने अपने शहर  सबसे अमीर घराने में गया हुआ था

, पूजा सम्पन्न कराकर जब मैं  वहां वापस आने की तैयारी कर रहा था तब उन महासय ने मुझसे एक सवाल पूछा थाकि भगवान कहाँ रहते हैं ?  भगवान की नजर किस ओर है और भगवान क्या कर सकते हैं?

उन महाशय के सवाल का जवाब मुझे उस समय नही सुझा तो मैने उनसे कुछ समय मांगा था, जिसके जवाब के लिये उन्होंने  मुझे एक माह की समय दिया था, और वह एक माह बीतने वाला है लेकिन उन प्रश्नों के जवाब मेरे पास नहीं हैं

इसलिए मैं चिंतित हूँ क्योंकि सही उत्तर  देने पर वो मुझको बहु बड़ी राशि इनाम में देंगे जिससे हमारी गरीबी दूर हो जाएगी! *ब्राह्मण की बात सुनकर उनका पुत्र बोला, “पिताजी ! इनका जवाब मैं उन महाशय को दूँगा। आप मुझे साथ ले चलिये।”*

*एक माह पूरा हुआ तब ब्राह्मण अपने पुत्र को लेकर उस धनवान के यहाँ गया और उन महाशय से कहा, “महोदय ! आपके सवालों का जवाब मेरा पुत्र देगा।” उस धनवान ने ब्राह्मण के पुत्र से उन सवालों को दुबारा पूछते हुए

कहा कि बताओ भगवान कहाँ रहते हैं? भगवान की नजर किस ओर है तथा भगवान क्या कर सकते हैं ?*

उस ब्राह्मण पुत्र ने उस धनवान से कहा, “महोदय!  क्या आपके यहाँ पहले अतिथि का आदर सम्मान नहीं किया जाता है? “

  यह सुनकर उस धनवान को थोड़ी लज्जित महसूस हुई।  पहले उस बालक को आदर सत्कार के साथ स्थान दिया , फिर उसके पीने हेतु

सेवक को एक ग्लास दूध लाने को कहा। वह बालक दूध के गिलास को पकड़ कर दूध में अंगुली डालकर घुमाकर बार-बार दूध को बाहर निकालकर देखने लगा। यह देख धनवान व्यक्ति ने पूछा, “ये क्या कर रहे हो ?”


*बालक ने कहा, “सुना है दूध में मक्खन होता है। मैं वही देख रहा हूँ कि दूध में मक्खन कहाँ है ? आपके घर से मिले दूध से तो मक्खन ही गायब है।”


उस धनवान ने कहा, “दूध में मक्खन होता है, परन्तु वह ऐसे दिखाई नहीं देता। जब दूध को जमाकर दही बनाया जाता है और फिर दही को मथा जाता हैं तब जाकर मक्खन प्राप्त होता है।”
*ब्राह्मणके पुत्रने कहा, “महाशय !

यह आपके पहले सवाल का जवाब है। जिस तरह दूध से दही और फिर दही को मथनेसे मक्खन प्राप्त होता है,

उसी प्रकार परमात्मा प्रत्येक जीव के अन्दर विद्यमान होते है परन्तु उन्हें पाने के लिये सच्ची भक्ति की आवश्यकता होती है।

मन से ध्यानपूर्वक भक्ति करने पर आत्मा में छुपे हुए परमात्मा का आभास होता है।”*
वह धनवान ब्राह्मण के पुत्र के इस जवाब से खुश हुआ और कहा अब मेरे दूसरे सवाल का जवाब दो, भगवान किस ओर देखते हैं ?

उस बालक ने कहा, “महोदय! इसका जवाब मैं दूँगा परन्तु मुझे इसके लिये एक मोमबत्ती की आवश्यकता है।”

धनवान व्यक्ति  ने तुरन्त मोमबत्ती मंगाई और उस बालक को दी।
*उस बालक ने मोमबत्ती को जलाकर कहा, “महोदय ! आप बतायें, इस मोमबत्ती की रोशनी किस ओर है ?” उस धनवान ने कहा,

“इसकी रोशनी चारों दिशा में एक समान है।” तब उस बालक ने कहा, ” महोदय ! यही आपके दूसरे सवाल का जवाब है।

क्योंकि परमात्मा सर्वदृष्टा हैं और उनकी नजर सभी प्राणियों के कर्मों की ओर परस्पर रहती है।” वह धनवान व्यक्ति ब्राह्मण पुत्र के इस  जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हो गया

और अब वोअन्तिम प्रश्न के उत्तर जानने हेतु और भी अधिक उत्सुक हो गया।

*उस धनवान ने कहा, “मेरे अन्तिम सवाल का जवाब दो कि, भगवान क्या कर सकते हैं ?” बालक ने कहा, ‘महोदय ! मैं इस सवाल का उत्तर अवश्य दूँगा परन्तु इसके लिये मुझे आपकी जगह पर और आपको मेरी जगह पर आना होगा।”

*
धनवान को तो उत्तर जाने की उत्सुकता थी, उसने अपनी सहमति दे दी। वह बालक धनवान के सिहासन पर जा बैठा और कहा, “महोदय ! आपके अन्तिम सवाल का जवाब यह है, आपने कहा था कि भगवान क्या कर सकते हैं ?

तो भगवान यह कर सकते कि मुझ जैसे रंक को आपके सिहासन पर बैठा सकते हैं, और आप जैसे धनवान को मुझ जैसे सवाली के स्थान पर, अर्थात ईश्वर राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं । यह आपके अन्तिम सवाल का जवाब है।”

 धनवान व्यक्ति उस ब्राह्मण पुत्र के जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हुआ और उसे अपना सलाहकार बना लिया।इस कथा का तात्पर्य है

कि भगवान हर एक जीव के ह्रदय में निवास करते हैं। परमात्मा के साथ प्रेम करेंगे तो वह आपको सही मार्ग दिखाएंगे

इसलिए हर जीव को सतकर्म, पूजा-पाठ करतेरहना चाहिए। जिससे आप अपने अन्दर की उस शक्ति से जुड़ सकें जो आपके भीतर ही मौजूद है लेकिन आप उसे पहचान नहीं पा रहे हैं ।ॐश्री राम कृष्ण हरि.🙏🙏🚩🙏🙏विजय कुमार निगम 🙏🙏 

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