पाकिस्‍तान को क्‍यों हो रही भारत से दोस्‍ती की जरूरत महसूस और क्‍यों बदले हैं सुर

 बीते कुछ समय से पाकिस्‍तान के सुरों में भारत को लेकर अचानक बदलाव देखने को मिला है। फिर चाहे वो सीमा पर तनाव कम करने को लेकर हुई डायरेक्‍टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) की बातचीत हो या पाकिसतान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा का बयान हो या सिंधु जल विवाद सुलझाने के लिए हो रही वार्ता हो। ये सब कुछ अचानक से होता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि इसके पीछे की आखिर वजह क्‍या है।

A passage to Pakistan: Indians may have a distorted view of their  neighbour, but Pakistanis don't quite get India either

जानकार इसके पीछे पाकिस्‍तान की जरूरत को मानते हैं। ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का कहना है कि मौजूदा समय में पाकिस्‍तान आंतरिक तौर पर कई मोर्चों से घिरा हुआ है। आर्थिक रूप से पाकिस्‍तान की हालत बेहद खराब है। रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से वो काफी अलग-थलग और कमजोर हो चुका है। वैश्विक मंच पर भी उसके हालात काफी खराब हो चुके हैं। हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की भारत की यात्रा भी इसके पीछे एक वजह है। इसके अलावा पाकिस्‍तान खुद को अकेला महसूस कर रहा है।

जिस तरह से अमेरिका ने अफगानिस्‍तान के मसले और वहां की शांति प्रक्रिया में भारत को सहयोगी बनाया है, वो पाकिस्‍तान के लिए एक बड़ा झटका है। पाकिस्‍तान को लगने लगा है कि अमेरिका ही नजरों में वो बुरी तरह से पिछड़ रहे हैं। ये हाल अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से भी कहीं ज्‍यादा बुरा है। क्‍योंकि उनके कार्यकाल में अफगानिस्‍तान को लेकर जो बातचीत शुरू हुई थी उसमें भारत को जगह नहीं मिली थी। वहीं बाइडन प्रशासन में भारत का रुतबा पहले से कहीं अधिक बढ़ा है।

International investors pile into Pakistan | Business| Economy and finance  news from a German perspective | DW | 03.12.2019

बाइडन प्रशासन ने भारत को अपने दस सबसे शीर्ष के सहयोगी देशों में शामिल किया है। भारत को अमेरिका ने इंडो-पेसेफिक क्षेत्र के लिए बनने वाली भावी नीतियों मं शामिल किया है और अहम जिम्‍मेदारी निभाने को भी कहा है। बावजूद इसके कि अमेरिका इस बात को बखूबी जानता है कि चीन इस क्षेत्र की एक बड़ी ताकत है। वो ये भी जानता है कि भारत को इस क्षेत्र में किसी भी सूरत से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

जहां तक पाकिस्‍तान की बात है तो वो अपने मौजूदा हालातों को भी अच्‍छे से जान रहा है। मौजूदा समय की ही बात करें तो वो वैश्विक महामारी से इस कारण भी नहीं लड़ पा राह है क्‍योंकि वहां के आर्थिक हालात काफी बदतर हैं। खुद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इस बात को कुछ दिन पहले खैबर पख्‍तूख्‍वां में मान चुके हैं कि आर्थिक तंगी की वजह से सरकार स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर और शिक्षा पर खर्च नहीं कर पा रही है। ऐसे में प्रोफेसर पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान को भारत से रिश्‍ते सुधारने की शुरुआत करनी पड़ी है।

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