आजादी के पश्चात् से देश ने कई बड़े उतार.चढ़ाव को देखा हैए खास कर निजी क्षेत्रो में जहाँ कई बड़ी इकाईयां आकस्मिक रूप से बंद हुई है द्य जिसका नकारात्मक प्रभाव आम जनता पर पड़ा है द्य अस्थिरता और असुरक्षा के माहौल ने सार्वजानिक क्षेत्र में लोगो के विश्वास को तेजी से बढ़ाया है द्य लाभ कम होने के बावजूद अधिकांश लोग सार्वजानिक क्षेत्र में निवेश करते हैए वजह इन क्षेत्रो के पीछेए सरकार के होने सेए लोग अपनी जमा धनराशी को सुरक्षित मानते है द्य पर यदि सरकार ही निजीकरण की राह पर चल पड़े तो जनता में अस्थिरता और असुरक्षा की भावना होना स्वाभाविक ही है द्य भारत सरकार के उपक्रम की कई इकाइयों में से एक इकाई जिसने अपने कार्य और पहुँच से लोगो को बीमा का न केवल महत्व समझायाए बल्कि जन.जन की जुबान पर बनी हुई है द्य इसका प्रभाव इतना व्यापक रहा है की कोई नयी गाड़ी भी खरीदता है तो लोग उसे एलण्आईण्सीण् कराने की सलाह देते है जबकि एलण्आईण्सीण् सिर्फ लोगो का जीवन बीमा करती है द्य यहाँ हम बात कर रहें है भारतीय जीवन बीमा निगम ;स्पमि प्देनतंदबम ब्वतचवतंजपवद व िप्दकपंद्ध कीए जिसमे सरकार लगभग 10 प्रतिशत विनिवेश करने जा रही है द्य सरकार ने डेलॉयट और एसबीआई कैपिटल को एलण्आईण्सी के आईपीओ के लिए न्युक्त कर कार्यवाही शुरू भी कर दी है द्य
बीमा क्षेत्र में चल रही कई बड़ी वित्तीय और क़ानूनी अनियमितताओ की वजह से देश में कार्यरत 245 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों कोए भारत सरकार ने जून 1956 मेंए संसद मेंए जीवन बीमा अधिनियम पारित करके बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण कर दिया था और सरकार द्वारा 5 करोड़ रूपये कैपिटल एलण्आईण्सीण् को दिया गया था द्य इस राष्ट्रीयकरण की वजह से 1 सितम्बर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम अपने अस्तित्व में आया द्य 6 दशक से अधिक समय के अपने कार्यकाल में एलण्आईण्सी ने अतुलनीय योगदान दिया है द्य 64वां स्थापना दिवस एलण्आईण्सीण् ने अभी 1 सितम्बर 2020 को मनाया है द्य इसके राष्ट्रीयकरण के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य आम जनता के हितो को सुरक्षित करना था और विभिन्न वित्तीय और क़ानूनी अनियमितताओ को समाप्त करना था द्य
पुनः सरकार ने यह महसूस किया की देश में बीमा का विकास अपेक्षाकृत नहीं है और विभिन्न कमेटियों के सुझाव परए प्त्क्।प् ।ब्ज् 1999 बनाया गया द्य जिसके तहत निजी क्षेत्र को बीमा क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति निर्धारित नियमो के तहत दी गयी द्य वर्तमान में 24 जीवन बीमा कम्पनियाँ कार्यरत है जिनमे से 23 निजी क्षेत्र की है और एक भारतीय जीवन बीमा निगम है द्य इन 24 कंपनियों में मार्च 2020 तकए कुल पूंजी 37ए789 करोड़ए कुल ब्रांच संख्या 11ए311ए कुल कार्यरत बीमा एजेंट 22ण्78 लाखए प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत कर्मचारी 2ण्93 लाखए 37ण्75 लाख करोड़ से अधिक की परिसंपत्तियां है द्य इसी अवधि में 3ण्09 लाख करोड़ रिन्यूअल प्रीमियम आय जीवन बीमा कंपनियों ने अर्जित की जबकि खर्च कमीशन में 29ए796 करोड़ए संचालन में 55ए972 करोड़ए मृत्यु दावे में 28ए949 करोड़ खर्च किया है द्य यानि की सम्पूर्ण जीवन बीमा क्षेत्र समृद्ध है द्य
इसी अवधि में बाजार हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम की 75ण्90 प्रतिशत ;पॉलिसी के आधार परद्ध और 68ण्74 प्रतिशत ;प्रथम वर्षीय प्रीमियम के आधार परद्ध रही है द्य एलण्आईण्सी के पास 28ण्92 करोड़ बीमा पालिसीए 12ण्09 लाख कार्यरत एजेंटए 2048 कार्यरत ब्रांचए 1526 कार्यरत सेटलाइट ब्रांचए और 31ण्96 लाख करोड़ की परिसंपत्तियां है द्य वित्तीय वर्ष 2019.20 में 2713 करोड़ के लाभ को प्रदर्शित किया है द्य दशकों से लगातार एलण्आईण्सी न केवल लाभ प्रदर्शित कर रहा है बल्कि देश के विकास में अपने योगदान से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है द्य एलण्आईण्सी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका एकाधिकार के साथ . साथ सरकार के हिस्सेदारी की भी रही है द्य जीवन बीमा क्षेत्र के निजीकरण और निजी क्षेत्र के आईपीओ में आने से एलण्आईण्सी पर प्रभाव पड़ा है द्य ऐसे में एलण्आईण्सी का आईपीओ आना कई प्रश्नों को एक साथ जन्म दे रहा है द्य
सरकार द्वारा एलण्आईण्सी के आईपीओ लाने की शुरुआत ने अनेकों लोगो को सशंकित कर दिया है यहाँ तक की एलण्आईण्सी के अंदर से ही इसका विरोध होना शुरू हो गया है इससे आम जनता भी दुविधा में है द्य वर्ष 2003 से लेकर 2019 तक सरकार को एलण्आईण्सी ने लगभग 26000 करोड़ का डिविडेंड भुगतान किया है द्य सरकार द्वारा उठाया गया कदम प्रश्नों के घेरे में इसलिए भी है की सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों का आपसी मर्जर और लिस्टिंग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है द्य सरकार की विनिवेश नीति के अनुसार . प्राथमिक तौर पर विनिवेश उन च्ैन् में किया जायेगा जो घाटे में चल रही हो और वित्तीय भार सरकार पर पड़ रहा हो द्य एलण्आईण्सी के विषय में ये बातें बिल्कुल लागू नहीं होती है फिर विनिवेश क्यों घ् विनिवेश करने के लिए सरकार को कर्मचारी संगठनो और राजनितिक पार्टियों का विरोध झेलना पड़ रहा है ऐसे में विनिवेश की तत्परता संशय को जन्म देती है द्य वित्तीय वर्ष 2011.12 तक एलण्आईण्सी का शेयर कैपिटल 5 करोड़ रुपया था जिसे वित्तीय वर्ष 2012.13 में बढ़ा कर 100 करोड़ कर दिया गया द्य भारतीय जीवन बीमा निगम का पेड.अप कैपिटल 100 करोड़ए क्या यह आईपीओ लाने के लिए पर्याप्त है घ् यानि की कई मनको की अनदेखी भी सामने आ रही है यह अनदेखी पहले भी कई निवेशो में देखी गयी है द्य
निजी क्षेत्र के जीवन बीमाकर्ता अपने सरप्लस का 10 प्रतिशत हिस्सा शेयर होल्डर को देते हैए शेष पॉलिसी होल्डर को दिया जाता है जबकि एलण्आईण्सीण् द्वारा 5 प्रतिशत सरप्लस सरकार को दिया जाता है और 95 प्रतिशत पॉलिसी होल्डर को ऐसे में सरकार द्वारा 10 प्रतिशत विनिवेश की कवायद पूरी करने के लिए यह जरुरी है की विभिन्न नियमों में संशोधन कर सरकार की हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत के स्तर तक लाया जाये ऐसा करने पर यह भी संभव है की संप्रभु ग्यारंटी ;ैवअमतमपहद हनंतंदजममद्ध सरकार द्वारा हटाया जा सकता हैए हालाँकि वित्त मंत्री ने इसे न हटाने की बात कही है द्य भारतीय जीवन बीमा निगम के कई कर्मचारियों का मानना है की एलण्आईण्सी का बाजार मूल्य कम आँका जा सकता है और धीरे.धीरे विनिवेश के जरिये सरकार एलण्आईण्सी का निजीकरण कर सकती है द्य
वित्तीय वर्ष 2014.15 में एलण्आईण्सी का छच्। ;छवद च्मतवितउपदह ।ेेमजद्ध 12ए213 करोड़ रूपये था जो सितम्बर 2019 में बढ़ कर रुपया 30ए000 करोड़ रूपये हो गया द्य मार्च 2020 तक एलण्आईण्सी का छच्। अनुपात ;ऋण पोर्टफोलियोद्ध में बढ़कर 8ण्17 प्रतिशत पहुँच गया जो की मार्च 2019 तक 6ण्15 प्रतिशत ही था द्य विभिन्न विशेषज्ञ इसके पीछे का कारण विभिन्न सरकारी हस्तक्षेप के जरिये किये जा रहे निवेश को मानते है द्य क्या सरकार छच्। की छतिपूर्ति के लिए एलण्आईण्सी का आईण्पीण्ओण् ला रही है द्य सरकार द्वारा उठाया जा रहा कदम जनता पर दोहरी मार से कम नहीं है द्य बढ़ते छच्। की वजह से पॉलिसी बोनस में कमी की मार जनता पर ही पड़ रही है द्य सबसे समृद्ध इकाईए जिसने सरकार को विभिन्न परिस्थिति में वित्तीय संकट में मदद करती रही हैए आईण्डीण्बीण्आई बैंक में किया गया निवेश इसका जीवंत उदाहरण हैए को पैसे की जरूरत किस नए विस्तार के लिए आवश्यक है यह अभी तक किसी को नही पता है द्य कई सरकारी क्षेत्रो को निजी क्षेत्रो के हाथो में देने की केंद्र सरकार की वर्तमान प्रवृत्ति से एलण्आईण्सी के कर्मचारीए पालिसी होल्डरए विशेषज्ञए राजनैतिक दल समेत सभी चिंतित है द्य रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से ली गयी धनराशी भी खूब चर्चा में रहा है द्य रेलवे के निजीकरण का विरोध अपने चरम पर है द्य सरकार का उद्देश्य एलण्आईण्सी के आईण्पीण्ओण् के पीछे कुछ भी होए पर पॉलिसी धारको के साथ.साथ जनता के भरोसे में एलण्आईण्सी के प्रति व्यापक कमी आ सकती है द्य जो एलण्आईण्सी की मजबूत छवि को ख़त्म कर सकती है द्य
डॉ अजय कुमार मिश्रा