मायावती के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 31 जुलाई तक टली

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाके के डीएम के पास अर्जी लगाने को कहा है. मामले की सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया रैगर महासभा के महासचिव छतर सिंह राछोया ने जज पुनीत नागपाल को बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद की तुलना भगवान से करके हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है.

याचिकाकर्ता छतर सिंह राछोया ने कहा, ‘मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर खुद की तुलना भगवान से की है. लिहाजा कोर्ट पुलिस को मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे. हालांकि कोर्ट ने इस अर्जी पर कुछ करने के बजाय याचिकाकर्ता को ही इलाके के डीएम से संपर्क करने के निर्देश दिया है. साथ ही मामले की सुनवाई को टाल दिया है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता छतर सिंह राछोया से कहा, ‘मामले में आप अपने इलाके के डीएम को आवेदन दें, जिससे राज्य या केंद्र सरकार से केस चलाने की इजाजत मिल जाए. कोर्ट के मुताबिक केस चलाने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों में से किसी एक से इजाजत लेनी जरूरी है. अब 31 जुलाई को कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई करेगा.

आपको बता दें कि यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में मायावती द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे को लेकर है, जिसमें मायावती ने अपनी तुलना भगवान राम से की है. मायावती की दलील है कि उन्होंने पूरी जिंदगी शादी नहीं की और अपने पूरे जीवन को बहुजन मिशन के साथ जोड़ने का फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में मायावती ने कहा कि जब सरकारी खर्चे पर 221 मीटर की भगवान राम की मूर्ति लगाई जा सकती है, तो भला उनकी मूर्ति क्यों नहीं लगाई जा सकती?

बसपा सुप्रीमो मायावती यहीं नहीं रुके अपने हलफनामे में उन्होंने हाल ही में 3000 करोड रुपए की पर्ची पर गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की लगाई गई मूर्ति पर भी सवाल उठाया है. मायावती का मानना है कि उन्होंने अपनी मूर्तियां इसलिए लगवाई, क्योंकि उनके समाज के लोग ऐसा करके गौरवान्वित अनुभव करते हैं.

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