@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
“बाँदा की पैलानी क्षेत्र मे आने वाली ग्राम पंचायत सांडी मे ‘न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स’ छतरपुर के पते की फर्म के सौजन्य से पट्टेधारक हिमांशु मीणा के नाम से खंड 77 संचालित है। इसमे परोक्ष रूप से बंसल, अजहर ( बंसल का मुनीम), जावेद ( हमीरपुर), सेंगर (रस्ता प्रबंधन) के नाम सांडी के ग्रामीण मौरम खदान से जोड़कर चल रहें है। वहीं खदान ग्रुप पर मध्यप्रदेश के मल्होत्रा का नाम सामने है। यह ग्रुप बीते कुछ वर्षों से बाँदा आसपास मौरम-बालू कारोबार का बेताज बादशाह सरीखा है।”
बीते 27 दिसंबर को खण्ड 77 मे जांच की खबर नीचे लिंक मे पढ़े-
बाँदा। हाल मे 26 दिसंबर 2024 को सांडी खण्ड 77 मौरम खदान की खबरें सोशल मीडिया मे दिनभर वायरल होने के बाद शाम तक अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, तहसीलदार पैलानी, एसडीएम सदर,खनिज इंस्पेक्टर गौरव, खान अधिकारी अर्जुन सिंह और लेखपाल सुनील की टीम ने किसानों की शिकायत पर खदान का निरीक्षण किया था। नदी कैचमेंट क्षेत्र मे प्रतिबंधित मशीनों को सूचना संसार ने अधिकारियों की तस्वीर पर दिखाया था। जो पोकलैंड और जेसीबी रस्ता निर्माण के लिए खदान मे लगती है वह नदी कैचमेंट क्षेत्र और जलधारा मे कैसे खड़ी है यह पूछने का माद्दा जांच टीम को न रहा होगा। अलबत्ता पट्टेधारक ने खण्ड 77 केन नदी मे खनन करती आधा दर्जन पोकलैंड खेतों की तरफ मोड़ दी थी। जांच अधिकारियों की खानापूर्ति का हश्र / नतीजा ये रहा कि अगले ही दिन दिनदहाड़े शुक्रवार 27 दिसंबर को पांच पोकलैंड केन नदी खदान स्थल पर चल रहीं थी। स्थानीय ग्रामीण जब अपने खेतों मे पहुंचे तो खदान का नजारा देखकर ज़िले की प्रशासनिक व्यवस्था खाशकर खनिज अधिकारी अर्जुन सिंह, खान निरीक्षक गौरव, तहसीलदार पैलानी और लेखपाल के जुगाड़तंत्र मे ‘न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स‘ की सेंधमारी को समझ चुके थे। किसान कमलेश, राजेश और शिवप्रसाद ने अपने मोबाइल जो खण्ड 77 मे शुक्रवार को 5 पोकलैंड से अवैध खनन करते की फ़ोटो सूचना संसार को उपलब्ध कराई है।
गौरतलब है कि दिनदहाड़े तो छोड़िए सूर्यास्त के बाद भी खदान पट्टेधारक पोकलैंड से नदी मे नियमानुसार और खनिज एक्ट की उपधारा 41 ज, पर्यावरण जल-वायु एनओसी, खनिज लीज डीड की शर्त मुताबिक खनन नही कर सकता है। बावजूद इसके चित्रकूट पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय बाँदा के अधिकारी इंद्रा नगर के दफ्तर मे बैठकर उत्तरप्रदेश सरकार के कर्मठ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सपनों पर पानी डाल रहें है। यह विभाग महोबा के पहाड़ों, बाँदा की नदियों, हमीरपुर की नदियों, चित्रकूट की नदियों मे हो रहे प्राकृतिक उजाड़ के कारोबार पर आंख मूँदकर काम कर रहा है। या यूं कहें कि वेतन की मौज और सिस्टम की मलाई से वक्त काटा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी श्री नागेंद्र प्रताप व मंडल आयुक्त के स्पष्ट निर्देश है कि खदानों मे अवैध खनन हरगिज न होने पाए।
लेकिन खनिज अधिकारी बाँदा अर्जुन सिंह और खान निरीक्षक गौरव की जुगलबंदी ने प्रदेश की योगी सरकार और प्रधानमंत्री के ज़ीरो टॉलरेंस नीति को बौना साबित करने का बीड़ा उठा रखा है। यदि ऐसा न होता तो क्या 24 घण्टे बीतने से पहले ही तस्वीरों के अनुसार पांच पोकलैंड खण्ड 77 पर उतारने का आत्मबल ‘न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स’ छतरपुर की फर्म और पट्टेधारक के नेटवर्क मे शामिल बंसल ( मध्यप्रदेश की ओवरलोडिंग परिवहन यूपी के रस्ते नरैनी क्षेत्र से मीडिया को साधकर निकलवाने के मास्टरमाइंड ), अजहर ( पूर्व मे पपरेन्दा डंप का प्रबंधक ),जावेद पूर्व मे खपटिहा खण्ड से जुड़ा रहा, सेंगर जी (बंसल और मल्होत्रा ग्रुप के क्षेत्रीय विश्वास पात्र व्यक्ति) जांच टीम की चेतावनी के बाद भी जुटा सकते थे ? एक दिन की हुआं-हुआं के बाद खबरीलाल लगभग चुप है। ठीक वैसे जैसे मर्का, बरियारी, मड़ौली, मरौली, पथरी पर चुप रहते है। सेटलमेंट बिगड़ा तो हल्ला नही तो लाल मौरम की उठान मे खण्ड 77 से अन्य तक अवैध खनन और पोकलैंड का साम्राज्यवाद किसको दिखता है ? फिलहाल सांडी खण्ड 77 के बेधड़क हौसले को सूचना संसार का सलाम कि उन्होंने खनिज अधिकारी अर्जुन सिंह की प्रशासनिक डियूटी व ब्यूरोक्रेसी पर बट्टा लगा दिया है। देखना यह बड़ी बात होगी कि ज़िम्मेदार अधिकारी मुख्यमंत्री जी के आंखों मे धूल कब तक झोंकते है।