@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
“बाँदा के पैलानी क्षेत्र की लाल मौरम-बालू खदान खपटिहां कला और सांडी खादर पर संयुक्त जांच टीम ने फौरी जुर्माने की कार्यवाही कर इतिश्री कर दी है। बावजूद इसके 26 दिसंबर को की गई जांच को ठेंगा दिखाते हुए पट्टेधारक ने 27 दिसंबर से पुनः सांडी खादर खंड 77 पर आधा दर्जन पोकलैंड नदी की जलधारा मे उतार कर लगातार अवैध खनन का कारोबार संचालित कर रखा है।”
नीचे खबर लिंक मे 27 दिसंबर की खबर मे सांडी खण्ड 77 का तांडव है-
बाँदा। प्रशासन ने आज 30 दिसंबर को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि बीते 26 दिसंबर 2024 को संयुक्त जांच टीम ने क्रमशः खपटिहां कला के गाटा संख्या 62, 63, /1 रकबा 42 एकड़ फर्म शुद्धतम इंटरप्राइजेज प्रोप्राइटर मनोज कुमार मिश्रा पुत्र सतीशचन्द्र मिश्रा निवासी बी-145 सेक्टर 52, नोयडा, गौतमबुद्ध नगर के नाम से मौरम खदान की जांच की थी। जिसमें अतिरिक्त खनन / परिवहन / तथा खनन क्षेत्र से बाहर 3.619 घन मीटर अवैध खनन नदी की जलधारा को अस्थाई रूप से बाधित करके किया गया है। संयुक्त जांच टीम ने इन पर 39,65,450 रुपया जुर्माना अधिरोपित किया है। साथ ही अग्रिम आदेश तक परिवहन प्रतिबंधित है। वहीं इसी जांच टीम मे शामिल सीओ सदर, डिप्टी कलेक्टर, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, खनिज अधिकारी अर्जुन सिंह, तहसीलदार व एसडीएम पैलसनी, खान इंस्पेक्टर गौरव व लेखपाल के पैनल ने जांच करके सांडी खादर के मौरम खण्ड 73/1, 73/2, 77/1, 77/7, 89, 101/1 व 102/ 1 कुल खदान रकबा 26.62 हेक्टेयर पट्टेधारक फर्म न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स निदेशक हिमांशु मीणा पुत्र आरएल मीणा निवासी नीदड़, हार्मदा, जयपुर की जांच मे 1605.50 घन मीटर बालू का अवैध उत्खनन / परिवहन पाया गया है। इन पर 14,445,50 रुपया अर्थदंड अधिरोपित किया गया है।
जुर्माना की रस्म अदायगी से डरते पट्टेधारक तो यह अवैध खनन ही क्यों करते ? –
बाँदा प्रशासन एवं संयुक्त जांच टीम के पैनल से कुछ सवाल है कि हर बार जुर्माना की रस्म अदायगी पर भी यह खदान संचालक अवैध खनन क्यों करते है ? क्या प्रशासन मीडिया की खबरों को संतुष्ट करने के लिए महज जुर्माना लगाकर यह दिखाना चाहता है कि कार्यवाही होती है ? क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय व एनजीटी को भी इन्ही जुर्माना की रणनीति से ब्यूरोक्रेसी गुमराह करती है। जब कोई याचिकाकर्ता रिट फ़ाइल करता है तो प्रशासन कार्यवाही के नाम पर जुर्माने की तैयार फ़ाइल प्रस्तुत करके सरकार का बचाव पक्ष न्यायिक फोरम में रखती है। लेकिन ज़मीनी हकीकत तो वह भी जानती है कि ‘बाँदा मे लाल मौरम के प्रतिबंधित मशीनों से अवैध खनन मे पूरा स्थानीय अमला पालनहार है।’ यह सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की आंख मे धूल झोंकने जैसा कृत्य है।
यह कारोबार पट्टेधारक वैध पट्टे की आड़ मे अपने रकबे से हटकर दूसरे गाटा संख्या, किसानों की निजी भूमि, तरी और नदी जलधारा मे उतरकर अवैध करने के विशेषज्ञ है। जिसको स्थानीय माननीयों और इस पेशे मे शामिल कद्दावर व्यक्तियों की कृपादृष्टि से पोषित और संरक्षित किया जाता है। ऐसा न होता तो प्रभावशाली लोग जुर्माना से शर्म खाकर पुनः अवैध खनन करते ही क्यों ? क्या प्रशासन के जुर्माना से मड़ौली मे पहलवान की खदान और मरौली मे महोबा के पट्टेधारक ने पोकलैंड से नदी की बालू खोदना बन्द किया है ? क्या पथरी और बरियारी, बेंदा मे बन्द हुआ है ? नही होगा क्योंकि जुर्माना भरता कौन है ? ज़्यादा से ज्यादा फर्म ब्लैकलिस्ट होगी फिर दूसरी बन जाएगी जैसे एक यूरेका लड़ाका पुरवा मे दो वर्ष पहले ब्लैकलिस्ट हुई तो अब मल्होत्रा ग्रुप की सांडी खंड 77 मे न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स फर्म बन गई।
पांच साल का पट्टा और एक सीजन मे साफ-
मौरम खण्ड संचालक 5 साल के पट्टे की लाल बालू एक सत्र मे लगभग खत्म कर देता है। अर्थ मूविंग पोकलैंड से अवैध खनन होता है। 3 मीटर से ज्यादा खनन नदी की जल धारा मे रातदिन किया जाता है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी के दिशानिर्देश प्रशासन और पट्टे धारक दोनों को बखूबी जानकारी मे है। वहीं खनिज लीज डीड शर्ते और खनिज एक्ट की उपधारा 41 ज के नियम भी पता है। मुख्यमंत्री जी को धोखे मे रखकर और प्रधानमंत्री जी की बहुउद्देश्यीय केन- बेतवा परियोजना के 44 हजार करोड़ रुपया को बेनतीजा करने की कसम खाये स्थानीय प्रशासन केन नदी मे बाहुबली मौरम ठेकेदारों को अवैध खनन कराने मे खनिज अधिकारी को ग्रीन सिग्नल दिये है। उधर चित्रकूट धाम मंडल मे खुले पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय निदेशक / अध्यक्ष तो जैसे जल-वायु पर्यावरण एनओसी पर अपने लखनऊ वाले आला अधिकारियों को सूरदास समझे बैठे है। नदी कैचमेंट एरिया का परिवहन प्रदूषण, नदी जलधारा मे मशीनों से भारी खनन मे खत्म होते जलचर और किसान की खेतिहर भूमि से रस्ता बनाकर बेलगाम दौड़ते ओवरलोड डंफर व ट्रक की आवाजाही को जैसे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने फ़ाइलगार्ड मे बन्द कर रखा है। होना भी चाहिए जब रुपया बोले तो कौन सर्दी मे खदान स्थल तक डोले। फिलहाल प्रशासन के जुर्माना कार्यवाही पर सांडी खण्ड 77 व खपटिहां कला सहित अन्य पर असर बेमानी है। क्योंकि आज 30 दिसंबर भी खंड 77 मे पत्रकारों की आहट पाकर पोकलैंड थम गई और खरेई वन ब्लाक पर लगा वनविभाग का सूचना पट अपने ऊपर लिखे निर्देश पर कोफ्त कर रहा था। “सर्व साधारण को सूचित किया जाता है कि आरक्षित वनक्षेत्र से 100 मीटर के परिक्षेत्र मे भारी वाहन को पास नही दिया जाएगा।” आज्ञा से प्रभागीय वन अधिकारी बाँदा।
क्या पट्टेधारक ने डीएफओ बाँदा से सेटिंग कर रखी है जो सूचना पट पर लिखे निर्देश के बावजूद भारी ओवरलोड वाहन, डंफर, पोकलैंड इसी रास्ते से गुजरती है। गौरतलब है यह सूचना पट वर्ष 2022-23 मे लगा था फिर खण्ड 4 ने उखाड़ दिया। बीते नवंबर माह सूचना संसार की खबर से डीएफओ साहब ने सूचना पट स्थानीय फारेस्ट गार्ड व तिन्दवारी वनरेंजर से लगवाया है। इस सूचना पट पर सूचना संसार की नजर बराबर बनी है इसलिए पुनः उखाड़ा न जाये। बाकी मौरम खदान वालों की जय क्योंकि उन्ही की मौज है…