बाँदा मे पंद्रह दिन से किसान खाद के लिए परेशान, जुगाड़तंत्र भारी है…

  • बाँदा मे 15 दिन से किसान खाद को भटक रहा,खाद आती है और बिचौलियों, जुगाड़तंत्र मे किसान के हाथ खाली है।


“सहायक आयुक्त व सहायक निबंधक राजेश कुमार का दावा है कि 2753.700 मीट्रिक टन डीएपी रैक आई है। जिसमें 60 फीसदी 1652.200 मीट्रिक टन बाँदा को और चित्रकूट को 40 फीसदी 1101.500 मीट्रिक टन खाद दी गई है। इस वक्त रबी की बुआई के लिए जिले का किसान खेत छोड़कर सहकारी समितियों अथवा मंडियों मे खाद के लिए रातदिन परेशान है।”

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बाँदा। बुंदेलखंड के बाँदा, चित्रकूट,महोबा मे लगातार विगत 15 दिन से दैनिक अखबारों मे खाद की खबरे पटी है। किसानों के सामने खाद की किल्लत और मंडियों / सहकारी समितियों पर दलालों, बिचौलियों, जुगाड़तंत्र का बोलबाला है। मेहनत- मजदूरी करने वाला अन्नदाता किसान खाद के लिए मशक्कत कर रहा है। सुबह से रातभर खाद के लिए लाइन लगाए बैठा है। नम्बर लगाकर भोजन-पानी की व्यवस्था करके सिर्फ खाद और खाद चिल्ला रहा है। खेत पलेवा किये पड़े है और किसान मंडियों मे खाद को खड़े है। सहकारी समितियों मसलन तिंदवारी उत्तरी,जौरही, खांईपार, रेउना, नवीन क्योटरा, लुकतरा, पीसीएफ तिंदवारी,पीसीएफ मंडी, बीपीएक्स पपरेन्दा, पैलानी, जसपुरा, नरैनी बीपीएक्स, अतर्रा मे खुरहण्ड संघ,बदौसा,बिलगांव,बबेरू, बिसंडा आदि मे पांच टन खाद पहुंचाने का दावा है लेकिन यह खाद आसमान खाता है या किसान इसकी जानकारी इसलिए नही मिलती क्योंकि किसान आज 26 नवंबर तक खाद के लिए जसपुरा क्षेत्र मे परेशान है।


किसान रात को 3 बजे से लाइन मे लगता है-


खाद के जुगाड़तंत्र मे किसान को अपनी रात खराब करनी पड़ रही है। भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट से जुड़े बलराम तिवारी व जसपुरा क्षेत्र के किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह चुनाले लगातार किसान को खाद दिलाने की लड़ाई लड़ रहे है। टोकन बंटने के बावजूद किसानों को बमुश्किल खाद मिल रही है। उधर किसान का आरोप है कि बिना सुविधा शुल्क खाद मिलना मुश्किल है। लगातार सहकारी समितियों व मंडी मे किसान और कर्मचारियों की तीखी नोकझोंक रोजाना हो रही है। वहीं आज भी जसपुरा मे किसान नेता पुष्पेंद्र चुनाले के नेतृत्व मे धरना होता रहा है। बबेरू क्षेत्र मे जनसेवक पीसी पटेल किसान के लिए खाद व समयबद्ध धान खरीद की आवाज उठाते दिख रहे है। हलात ये है कि पुरुषों के साथ महिलाओं की संख्या भी खाद केंद्र मे लाइन पर है। उधर अधिकारी खाद संकट से निजात का दावा कर रहें है। बिना खाद के रबी की फसल समय से बुआई होगी इस चिंता मे किसान हलकान है।

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