@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- सीओ अतर्रा राजाभैया को हाईकोर्ट से जमानत दिला दिए वहीं स्थानीय मीडिया ने दो केस मे स्टे की बात छाप दी।
- बिना हाईकोर्ट का अंग्रेजी ऑर्डर पढ़े ही हिन्दी भाषी मीडिया का हाल हास्यास्पद है।
बाँदा। ज़िले का बौद्धिक हाल भी अजब-गजब है। बानगी के लिए यह खबर पढ़े। उल्लेखनीय है कि क्षेत्राधिकारी अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव जी ने आईआरजीएस शिकायत संदर्भ संख्या 40017025001609 दिनांक 30 जनवरी 2025 मे आख्या प्रेषित की है कि आरोपी ने बताया कि वह एक मुकदमे मे हाईकोर्ट से जमानत पर है। जबकि आज दिनांक 5 फरवरी को अमर उजाला ने प्रकाशित किया कि राजाभैया ने बताया कि उन्हें दो केस मे स्टे मिला है, फिर भी उत्पीड़न हो रहा है।’ गौरतलब है कि उपरोक्त दोनों ही कथन मिथ्या / झूठे है। सच्चाई यह है कि विद्याधाम समिति सचिव / चिंगारी संचालक को महज 13 फरवरी तक दलित महिला के यौन शोषण वाले केस मुकदमा संख्या 0314/2024 थाना अतर्रा मे फौरी स्टे मिला है। एज ए फ्रेश केस आगामी 13 फरवरी को डिवीजन बेंच हाईकोर्ट मे नियत है। लेकिन माननीय उच्चन्यायालय के नो कोर्सिव एक्शन
शब्दार्थ को सीओ अतर्रा साहब और लोकल मीडिया मनमानी से जनता को गुमराह करने हेतु प्रचारित कर लिख रहें है।
बाकायदा मुख्यमंत्री पोर्टल पर हाईकोर्ट से जमानत की बात तक लिख दी गई है। सवाल यह कि जब अभियुक्त गिरफ्तार ही नही हुआ तो जमानत कैसे मिल गई ? वो भी हाईकोर्ट से ?
ज़िले के इस बौद्धिक परिदृश्य पर यही कहा जा सकता है कि बंधुओं कम से कम हाईकोर्ट का आर्डर 21 जनवरी 2025 पहले पढ़ो फिर खबर लिखो और आख्या लगाओ। उधर 2 फरवरी 2025 को अपहरण का केस दर्ज होने के बाद राजाभैया जी पुनः फरारी काटकर चिंगारी से अतर्रा थाने मे बीते 4 फरवरी नारेबाजी कराए है। करीब 2 घण्टे तक थाना प्रभारी श्री कुलदीप तिवारी जी चिंगारी की महिलाओं ( जुगाड़ से एकत्र ) की नारेबाजी का कोलाहल सुनते रहे। यह अलग बात है साधारण नागरिक यह कृत्य थाने मे करता तो शांति भंग और सरकारी काम मे बाधा का केस लिख जाता।
अलबत्ता कानून का मखौल उड़ाते यह लोग भी लोकतंत्र की अतिश्योक्ति पूर्ण नजीर है। बतलाते चले कि राजाभैया से आहत दोनों यौन शोषित महिला मंगलवार देरशाम से बाँदा अशोक लाट पर न्याय की उम्मीद लिए अनशन मे बैठ गई है। देखना मुनासिब होगा कि इस नक्कारखाने मे उनकी आवाज कितनी दबती या उछलती है।