शेख हसीना की वापसी संभव
कुगेलमैन ने कहा कि 2006, 2007 और 2008 में, जब बांग्लादेश में एक लंबी अंतरिम सरकार थी, जो सेना के नेतृत्व में थी. इसलिए हमें सेना के आगे चलकर निभाई जा सकने वाली संभावित राजनीतिक भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इस वक्त शेख हसीना की राजनीति में वापसी की संभावना पर कुगेलमैन ने संदेह जाहिर किया, लेकिन उनकी वापसी से इनकार नहीं किया.
बांग्लादेश में अशांति के दौर में अंतरिम सरकार जितने लंबे वक्त तक सत्ता में रहेगी, सेना की राजनीतिक भागीदारी का जोखिम उतना ही अधिक होगा. इस बात की आशंका को पहले ही जाहिर किया गया था. मगर अब एक्सपर्ट भी इससे सहमत दिखाई दे रहे हैं. विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जितने लंबे समय तक सत्ता में रहेगी, सेना के देश की राजनीति में अधिक निर्णायक भूमिका निभाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी. उनकी यह टिप्पणी बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक अशांति के बीच आई है. जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाए जाने के बाद पैदा हुई है, जिसके कारण आम चुनावों का समय अनिश्चित हो गया है.
आर्मी अब वह सेना नहीं रही
कुगेलमैन ने कहा कि मेरा मानना है कि सेना अब वह सेना नहीं रही जो कल थी. पहले जब यह तख्तापलट करती थी तो इसकी भूमिका अधिक राजनीतिक थी. जबकि पिछले कुछ दशकों में यह बैरक के पीछे रहने में सहज लग रही थी. यह निश्चित रूप से तब हुआ जब 2009 से शेख हसीना सत्ता में आईं. लेकिन अब अगर लगातार राजनीतिक खालीपन के हालात रहे, इन अनिश्चितताओं के कारण लंबे वक्त तक चुनाव नहीं करवाए गए और अंतरिम सरकार की ओर कोई साफ रोडमैप पेश नहीं किया गया तो, मुझे लगता है कि सेना ऐसी स्थिति में है, जो डिफॉल्ट रूप से अधिक राजनीतिक भूमिका निभा सकती थी.