- आईआरजीएस / मुख्यमंत्री पोर्टल पर संदर्भ संख्या 20017024014031 पोर्टल शिकायत दिनांक 21 दिसंबर 2024 एवं एसपी बाँदा को स्वयं उपस्थित होकर दिया गया 20 दिसंबर 2024
- नगर कोतवाली रहवासी पत्रकार और पर्यावरण कार्यकर्ता ने अपनी दुश्मनी के चलते सुरक्षा हेतु अनुस्मारक प्रार्थना दिया था। पहली बार 24 अक्टूबर को डाक से एसपी / डीआईजी / मुख्यमंत्री जी को प्रेषित किया गया था।
- सीओ अतर्रा प्रवीण कुमार यादव ने आईआरजीएस पोर्टल पर राजाभैया यादव की पीड़िता के शिकायत पत्रों को भी इसी तर्ज पर दफ्तर मे बैठकर आख्या लगाते हुए निस्तारण कर दिया है।
- सीओ अतर्रा ने बतौर आईओ पत्रकार के प्रार्थना पत्र पर आख्या लगाई की पत्रकार उपरोक्त प्रार्थना पत्र को अपने बचाव हेतु दे रहा है। क्योंकि राजाभैया पर मुकदमा लिखवाने वाली महिला ने पत्रकार पर भी मुकदमा लिखाया था।
- सीओ अतर्रा प्रवीण कुमार यादव बने तत्कालीन नगर कोतवाल राजेन्द्र सिंह रजावत, तत्कालीन सीओ सिटी राकेश कुमार सिंह और तत्कालीन एसपी अभिनंदन सिंह के खैरख्वाह। पत्रकार पर लगाई फर्जी चार्जसीट झूठी साबित न हो इसलिए मनगढ़ंत जांच की गई।
- पत्रकार पर मुकदमा लिखवाने वाली उक्त पीड़िता स्वयं पुलिस की झूठी चार्जसीट, लादे गए फर्जी मुकदमे और षड़यंत्र-कारी राजाभैया यादव की पोल वीडियो बयान पर 13 दिसंबर को सार्वजनिक खोल चुकी है।
बाँदा। उत्तरप्रदेश के बाँदा ज़िले मे मुख्यमंत्री पोर्टल / आईआरजीएस को कैसे हास्यास्पद बनाया गया है इसकी यूं तो दर्जनों नजीर मिल जाएंगी। शिकायत कर्ता की जांच अक्सर दोषी विभाग के अधिकारियों या फिर उसमें शामिल व्यक्ति या नोडल अफसरों को ही सौंप दी जाती है। वहीं मुख्यमंत्री पोर्टल / आईआरजीएस शिकायत निस्तारण रैंकिंग पर अपनी पीठ थपथपा कर खुश होने वाले अफसरों की सच्चाई काश माननीय मुख्यमंत्री के आंखों तक सीधे तौर पर पहुंच सकती।
ताजा उदाहरण बाँदा के पत्रकार व बुंदेलखंड के पर्यावरण कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित से जुड़ा है। पत्रकार द्वारा अपनी जींवन सुरक्षा को लेकर विगत दिनांक 20 दिसंबर 2024 के प्रार्थना पत्र से जुड़ा है। उल्लेखनीय है कि व्हिसिल ब्लोअर पत्रकार आशीष सागर दीक्षित ने इसके पूर्व भी पंजीकृत डाक से 24 अक्टूबर 2024 को प्रार्थना प्रेषित करके एसपी बाँदा, डीआईजी चित्रकूट मंडल / यूपी के मुख्यमंत्री जी से अपने और परिजनों की अ-सुरक्षा को ध्यान देने का निवेदन किया था। लेकिन ब्यूरोक्रेसी के नक्कारखाने मे सरकारी कूड़ादान पर सड़ते जनता के शिकायत पत्र / प्रार्थना पत्र न्याय की चौखट तक कब पहुंच पाते है ? यदि पहुंचे भी तो उक्त पीड़ित की आपबीती और रगड़ी हुई एड़ियां आपको उसकी आर्थिक टूटन के साथ सारी हकीकत बयानी कर देती है। दफ्तरों मे बैठकर पिछले सात साल से सूबे के साथ ज़िले का आईआरजीएस पोर्टल पीड़ितों की जांच आख्या लगाने का काम कर रहा है। वहीं फीडबैक के नाम पर पुनः सीएम हेल्पलाइन नम्बर / आईआरजीएस से फोन आते है जिनका हश्र शिकायत कर्ता को मानसिक अवसादग्रस्त कर देता है। तब कहीं थक-हारकर पीड़ित या उसका परिवार किसी सरकारी देहरी या सड़क पर आत्मदाह अथवा आमरण अनशन का कदम उठाता है। लेकिन बेशर्मी को आत्ममुग्ध-लज्जा की जैकेट बनाकर पहने अफसरों को काश खुद मे जनता के दर्शन होते तो यह परिदृश्य सामने नही झलकता। खैर जब यही ब्यूरोक्रेट्स खुद सेवानिवृत्त होते है तब इन्हें इस लचर, बेदम, दोयम, व्यवस्था पर कोफ्त (दुःख) होता है। जब यही अफसरों / सरकारी कार्मिक के आश्रितों को पेंशन, फंड और अन्य सुविधाएं लेने के लिए जूझना पड़ता है। तब इन्हें इस कोलैप्स हो चुके सिस्टम / तंत्र के जनतंत्र का गटर बदबूदार लगता है।
पत्रकार के प्रार्थना पत्र पर अतर्रा सीओ कर रहे थे जांच-
बाँदा के पत्रकार आशीष सागर दीक्षित ने दिनांक 20 दिसंबर 2024 को अपनी सुरक्षा हेतु एक अनुस्मारक पत्र एसपी बाँदा को स्वयं उपस्थित होकर दिया था। यह पत्र आईआरजीएस पर 21 दिसंबर को ऑनलाइन चढ़ता है। गौरतलब है पत्रकार की सुरक्षा हेतु प्रार्थना पत्र को मौजूदा एसपी साहब बिना प्रार्थना पत्र पढ़े ही पत्रकार को दुश्मन का विपक्षी करार देते है। जैसा राजाभैया ने विगत 5 दिसंबर को अपना पाठ पुलिस अफसरों को दफ्तर मे उपस्थित होकर पढ़ाया था। यह आला अफसर पत्रकार को खतरे होने की जांच उन्ही अतर्रा सीओ श्री प्रवीण कुमार यादव को देते है जो राजाभैया यादव ( सचिव विद्याधाम समिति / चिंगारी, अतर्रा, बाँदा ) के यौन शोषण मुकदमे की जांच कर रहें है। बतलाते चले कि गत 17 दिसंबर को राजाभैया यादव पर उन्ही के चिंगारी संगठन से जुड़ी दो महिलाओं ने अलग-अलग एफआईआर अतर्रा थाने मे लगातार 5 दिसंबर से भागदौड़ के बाद दर्ज कराई थी। मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 व 0315/2024 इसकी क्रमशः जांच अतर्रा एसआई श्री काशीनाथ यादव व सीओ प्रवीण यादव कर रहें है। उल्लेखनीय है अभियुक्त राजाभैया यादव से पत्रकार आशीष सागर दीक्षित की वर्ष 2013 से वैचारिक दुश्मनी है। यह आज मुकदमेबाजी तक तब्दील हो चुकी है।
राजाभैया के भ्रष्टाचार और एनजीओ घालमेल को उजागर करने वाले पत्रकार पर मार्च 2016 फिर साल 2022 मे दो हरिजन महिलाओं से चिंगारी / विद्याधाम समिति सचिव ने अलग-अलग केस दर्ज कराए थे। इनमे से वर्ष 2016 के मुकदमे पर दो बार एफआर खुद पुलिस ने बाँदा कोर्ट मे दाखिल की है। वहीं वर्ष 2022 के मुकदमे पर फर्जी चार्जशीट लगाई है जिसकी पोल मुकदमा लिखवाने वाली महिला व उसकी गवाह ने 13 दिसंबर को बाँदा एसपी कार्यालय मे मीडिया के सामने खोली थी। आपसी विवाद और खुद पर राजाभैया के द्वारा किये यौन शोषण व अन्य अत्याचार से आहत उक्त दोनों महिलाओं ने विद्याधाम संचालक पर ही मुकदमा लिखा दिया है। पत्रकार ने अपनी सुरक्षा को जब प्रार्थना पत्र दिया तो आईओ बने अतर्रा सीओ श्री प्रवीण यादव ने जांच आख्या मे लिखा है कि…
“पत्रकार पर अन्य थानों मे मुकदमा लिखे है। साथ ही राजाभैया पर मुकदमा लिखवाने वाली महिला ने पत्रकार पर अपराध संख्या 0424/2022 नगर कोतवाली मे लिखाया था। जिसमें आरोपपत्र संख्या 353/22 दिनांक 22.06.22 को माननीय न्यायालय मे प्रेषित किया गया है। ( जबकि चार्जशीट दो साल बाद 2024 के सितंबर से अक्टूबर माह के मध्य एससी.एसटी कोर्ट बाँदा मे दाखिल की गई है। ) वहीं उसी महिला ने राजाभैया यादव, मुबीना खान पर 17 दिसंबर को मुकदमा दर्ज कराया है। आवेदक पत्रकार अपने बचाव मे प्रार्थना पत्र दे रहा है।” दिनांक 4 जनवरी को अतर्रा सीओ दफ्तर मे महिला आरक्षी श्रीमती बिंदु जी के समक्ष बयान देकर पत्रकार ने अतर्रा थाने के आईओ श्री काशीनाथ यादव को भी बिंदु जी के निर्देश पर बयान दिए थे। बावजूद इसके दिनांक 7 जनवरी 2025 अंकित एक नोटिस पत्रकार के व्हाट्सएप नम्बर पर बयान हेतु प्रेषण किया गया था। पत्रकार ने उक्त नोटिस सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट की थी। इसका लिंक नीचे है…
https://x.com/AshishsagarD/status/1870059120264462453?t=GloOUWqfupYn8w4X16IN-w&s=19
स्याह मुकदमों को साल दर साल पत्रकार पर लादकर सिलसिले वार उसको जबरिया अपराधी बनाने वाले यह भूल जाते है कि यह सारे मुकदमे सत्ता से जुड़े विधायक, भूतपूर्व बीजेपी सांसद भैरोंप्रसाद मिश्रा रहवासी चित्रकूट , बीजेपी पूर्व महिला जिलाध्यक्ष बाँदा ( महिला आयोग सदस्य ), खनिज अधिकारी / खान निरीक्षक जितेंद्र सिंह, बाँदा के सरकारी संपति पर भूमाफिया बनकर बैठे वर्तमान मनरेगा लोकपाल डाक्टर नंदलाल शुक्ला के परिजनों की तरफ से महाविद्यालय बचाने के जनसंघर्ष एवं एनजीओ सोशल माफिया-राजाभैया यादव ने सुनियोजित दर्ज कराए थे। इनमे ज्यादातर पर पुलिस विवेचना मे अंतिम रिपोर्ट / एफआर लग चुकी है। पत्रकार ने अपनी पुलिसिया क्रिमिनल हिस्ट्री को माननीय उच्चन्यायालय मे याचिका संख्या 2660/2022 से चुनौती दे रखी है। साथ ही लगातार बाहुबली, मौरम ठेकेदार, सरकारी पहुंच वाले सफेदपोश लोगों पर सूचनाधिकार / खबरों से सक्रिय रहता है।
सीओ अतर्रा ने आईआरजीएस को हास्यास्पद बनाया-
आईआरजीएस पोर्टल पर राजाभैया की पीड़िता ने कई बार शिकायत की है। उदाहरण के लिए शिकायत संदर्भ संख्या 4001702240218 दिनांक 18 दिसंबर 2024, संदर्भ संख्या 20017024023745 दिनांक 18 दिसंबर 2024, संदर्भ संख्या 60000240248358 दिनांक 19 दिसंबर 2024, संदर्भ संख्या 60000240253526 दिनांक 26 दिसंबर 2024 व आईआरजीएस संदर्भ संख्या 50017025000002/60000250005953 दिनांक 3.01.2025 मे मनमर्जी जांच आख्या लगाकर आईओ तथा सीओ अतर्रा श्री प्रवीण यादव व एसआई श्री काशीनाथ यादव ने जो करिश्मा किया है उससे उन्हें माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा बड़े मंच से सम्मानित किया जाना चाहिए। यह अलग बात है यह जांच आख्या भविष्य मे माननीय कोर्ट की चौखट पर आईओ को कटघरे मे खड़ा कर देंगी। लेकिन आज पद और कुर्सी की ताकत मे अफसरों को पीड़ितों का मातम कहाँ दिखता है ?
पत्रकार की जींवन सुरक्षा मामलें पर भी लीपापोती करके हाथ साफ कर लिए है। बावजूद इसके इस हलात मे कोई न्याय की उम्मीद कर सकता है !!! सीओ अतर्रा श्री प्रवीण यादव व एसआई काशीनाथ यादव ने लगातार अभियुक्त राजाभैया यादव को संरक्षण दिया और हाईकोर्ट मे स्टे हासिल करने तक छूट दी। वहीं मुख्यमंत्री की मंशा के खिलाफ आईआरजीएस पोर्टल को मनमानी का साधन बना लिया है। देखना यह बड़ी बात होगी कि माननीय न्यायालय इन जांचों पर भविष्य मे क्या सवाल खड़े कर कार्यवाही करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह आईआरजीएस पोर्टल या तो निगरानी के लिए अपने पास रखना चाहिए अथवा बन्द कर देना न्यायोचित होगा क्योंकि चोरों की जांच वही चोर करेंगे तो न्याय कौन करेगा ?