@आशीष सागर दीक्षित,बाँदा
- बाँदा मे सिंचाई विभाग के अधिकारियों का हाजमा बड़ा मजबूत है यह पिचिंग के स्टोन-बोल्डर तक पचा जाते है।
बाँदा। सिंचाई विभाग ने शहर से लगे कनवारा ग्राम मे गांव को बाढ़ से बचाने के लिए केन नदी की तलहटी मे पत्थरो से पिचिंग कार्य किया था। वहीं पैलानी क्षेत्र मे भी यह कार्य चिल्ला आसपास किया था। आंकड़े बतलाते है कि ज़िले मे 60 करोड़ रुपया सिंचाई विभाग को पिचिंग कार्य के लिए अवमुक्त हुआ है। लेकिन भ्रष्टाचार की पैबंद मे सूबे की सरकार के मंसूबों और जनहित उपयोगी-योजनाओं पर बट्टा लगाते सिंचाई विभाग के संबंधित अधिकारियों ने इस 60 करोड़ की केन नदी पिचिंग को ठिकाने लगा दिया है।
कमोबेश शहर से लगे कर्बला केन नदी तटबंध पर बसपा सरकार मे पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने जो डिजास्टर वाल / बाढ़ रोकने को तटबंध बनवाया था।
उसमें भी सिंचाई विभाग हर वर्ष मरम्मत पिचिंग के नाम पर बड़ा भ्रष्टाचार करता है। बिना वर्क ऑर्डर के काम हो जाते है पर जांच कभी नही होती है।
बड़े बोल्डर की जगह छोटे और हल्के पत्थरों से पिचिंग कार्य–
सिंचाई विभाग के हाजमा दुरस्त अधिकारीयों ने ठेकेदार को ग्रीन सिग्नल क्या दिया उसने भी विभागीय कमीशन की फेरबन्दी मे केन नदी पर की जा रही पिचिंग कार्य को खानापूर्ति मे समेटने का परोपकारी काम किया है। ठेकेदार ने छोटे बोल्डर लगाकर बड़े पत्थरों पर खेल कर दिया। ग्रामीण परेशानी मे है कि आने वाली बरसात मे केन नदी का यदि विकराल रूप बाढ़ से हुआ तो यह पिचिंग की विकासलीला किस करवट बैठेगी ? गौरतलब है क्षेत्र के किसान नेता बलराम तिवारी और पुष्पेंद्र सिंह चुनाले सहित ग्रामीण इस वित्तीय गबन पर जांच की मांग किये है। उन्होंने सिंचाई विभाग को कटघरे मे खड़ा कर दिया है। जिलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा से निष्पक्ष कार्यवाही की मांग है।
छोटे बोल्डर भरभराकर बह जाएंगे क्योंकि तार की जालियों पर मिट्टी की बोरियों से पटे यह हल्के बोल्डर आंशिक बरसात मे केन की बाढ़ को बर्दाश्त करने का हौसला नही रखतें है। सूत्रधार दावा करते है सिंचाई विभाग केन नदी तटबंध पर हर साल यूं ही मरम्मत और पिचिंग के नामपर सरकारी धनराशि का खुला बंदरबांट करता है। उधर मीडिया की खबरों से बेखबर प्रशासन देखना होगा कब तक इस भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्यवाही करता है।