हरियाणा में खोया सियासी भविष्य तलाश रहे किसान नेता राकेश टिकैत, चढूनी और योगेंद्र यादव | Latest News

हरियाणा में तीन कृषि कानूनों के विरोध को लेकर पिछले छह माह से आंदोलनकारियों की अगुवाई कर रहे भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव अब शक्ति प्रदर्शन पर उतर आए हैं। आंदोलन के दौरान कई मौके ऐसे आए, जब चढूनी और टिकैत के बीच अप्रत्यक्ष रूप से जुबानी टकराव हो चुका है। चढूनी जहां किसान लीडरशिप अपने हाथ में रखने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं, वहीं टिकैत भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा में अपनी पैठ जमाने की कोशिश में हैं। राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि दरअसल ये तीनों किसान नेता अपना खोया सियासी भविष्‍य हरियाणा में तलाश रहे हैं।

Farmers Protest again caught up, Rakesh Tikait took this step for the  release of his companions | Evening News

चढूनी की पत्‍नी आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरियाणा में लड़ चुकी हैं चुनाव

गुरनाम सिंह चढ़ूनी आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरियाणा से अपनी पत्‍नी को चुनाव लड़वा चुके हैं। चढूनी की गतिविधियां करीब एक साल पहले तक कुरुक्षेत्र और कैथल जिले तक सीमित थी, लेकिन तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन ने उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को हवा दी है। आंदोलन चला रहे संयुक्त किसान मोर्चा के 40 संगठन भले ही दिखने में एक होने का दावा करते रहें, लेकिन पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली की राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े इन किसान नेताओं के अपने निजी राजनीतिक मसले भी हैं। चढूनी चाहते हैं कि उन्हें हरियाणा में किसानों का सर्वमान्य नेता स्वीकार कर लिया जाए, लेकिन यहां भाकियू नेता रतन सिंह मान भी सक्रिय हैं।

टिकैत और चढूनी के बीच रस्साकसी का फायदा उठाने की का‍ेशिश में यादव

कभी आम आदमी पार्टी की राजनीति के केंद्र बिंदु रह चुके योगेंद्र यादव स्वयं चुनाव लड़ चुके हैं। वह टिकैत व चढूनी के बीच चल रही रस्साकसी का राजनीतिक फायदा उठाते हुए दक्षिण हरियाणा की बंजर जमीन पर राजनीतिक फल पैदा करने की काेशिश में हैं। यही वजह है कि हरियाणा में किसान संगठनों के नाम पर राजनीति कर रहे किसान जत्थेबंदियों के यह नेता अपने-अपने शक्ति प्रदर्शन का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं।

VIDEO After Rakesh Tikait now Yogendra Yadav shed tears watch video and  know what they said

गुरनाम चढूनी को नागवार गुजर रही राकेश टिकैत की अपने क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियां

राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि ठीक उसी तर्ज पर राकेश टिकैत की निगाह भी हरियाणा के लोगों पर है। टिकैत यहां अपना राजनीतिक व संगठनात्मक भविष्य मजबूत करने की काेशिश में हैं, जो गुरनाम सिंह चढूनी को नागवार गुजर रहा है। हरियाणा में चल रहा किसान जत्थेबंदियों का यह आंदोलन कहीं न कहीं जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई राजनीतिक गतिविधियों से मेल खा रहा है। इसमें कुछ लोग सामने हैं तो कुछ परदे के पीछे खेल खेल रहे हैं।

किसी को रिहा करने का काम सरकार नहीं अदालत का : विज

” आंदोलनकारी नेता कहते हैं कि किसानों पर जो केस दर्ज हुए हैं, उनको खारिज किया जाए और जो किसान गिरफ्तार हैं, उनको छोड़ा जाए। यह काम सरकार का नहीं, बल्कि अदालत का है। वे लोग वहां जाकर अपनी अर्जी लगाएं। किसानो की भारी संख्‍या में इकट्ठे होने से कई बार रोका गया। कोरोना का भी उन्हें डर नहीं है। इस पूरे माहौल में राजनीति हावी है। ये लोग मानते ही नहीं। इनको टीका लगवाने के लिए भी कहा गया और टेस्ट करवाने के लिए भी, लेकिन उन्होंने इस मामले में सरकार को कोई भी सहयोग नहीं दिया। किसानों के दिल्ली की तरफ कूच से निसंदेह फिर कोरोना का असर बढ़ सकता है। यह सभी के लिए खतरा है। इस बात को समझने की जरूरत है।

 जाट नेता यशपाल मलिक भी जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान कर चुके ऐसे प्रयास

हरियाणा में किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन से पहले भी कई बड़े आंदोलन हुए हैं। जाट आरक्षण आंदोलन इसका बड़ा उदाहरण है। उस समय उत्तर प्रदेश के जाट नेता यशपाल मलिक ने पूरे समय हरियाणा में डेरा डाले रखा। अब भी यशपाल मलिक हरियाणा के लोगों के संपर्क में हैं।

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