@ आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
– वर्ष 2022-2023 मे सा. वा. सा. योजना अंतर्गत इस मार्ग मे सड़क के दोनों तरफ फैले वनक्षेत्र मे 35 हेक्टेयर क्रमशः द्वितीय मे 20 हेक्टेयर वनभूमि और पंचम मे 15 हेक्टेयर पर पौधरोपण किया गया था।
– पौधरोपण के स्थान पर लगा पत्थर तक जर्जर हो गया वहीं सड़क पर लगा वनविभाग का सूचना पट बोर्ड गायब है।
– खरेई मार्ग पर वनविभाग की भूमि पर पौधरोपण स्थान मे डीएफओ साहब की आज्ञा से एक सूचना पट लगाया गया था। इसमे लिखा था आरक्षित वनभूमि से 100 मीटर दूरी तक भारी वाहन पास नही किया जा सकता है। लेकिन विगत सत्र मे जब मौरम खदान चली तो सिस्टम से यह सूचना पट उखड़ गया।
– भ्रस्टाचार की इस बानगी से समूचे बाँदा मे हर वर्ष पौधरोपण की कहानी समझ सकते है।
बाँदा। उत्तरप्रदेश के जिला बाँदा अंतर्गत आने वाली पैलानी तहसील मे क्षेत्र खरेई वन ब्लाक की परिधि मे वर्ष 2022-23 मे सा. वा.सा. योजना से सड़क के दोनों तरफ ब्लाक द्वितीय व पंचम मे 35 हेक्टेयर पर पौधरोपण किया गया था।
तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी श्री संजय अग्रवाल ने बाकायदा यहां ब्लाक मे पत्थर लगवाए थे। पौधों की देखरेख करने वास्ते एक क्षेत्रीय ग्रामीण कर्मचारी नियुक्त है। इसको आप वाचर भी कह सकते है। यहीं ब्लाक पंचम से लगे कच्ची पगडंडी मे वनविभाग के तत्कालीन डीएफओ की आज्ञा से एक सूचना पट भी लगाया गया था। उक्त सूचना पट आज ग्राउंड पर नदारद है।
स्थानीय चरवाहे बतलाते है कि जब गत वर्ष खदान चली तो ठेकेदार ने विभाग से सेटिंग करके बोर्ड हटवा दिया। ताकि मौरम खदान के ओवरलोड ट्रक शार्टकट मार्ग से सुविधानुसार निकल सके। यह सीजन भर निकलते रहे और बेधड़क वनविभाग की उपरोक्त सूचना को मुंह चिढ़ाते रहे क्योंकि सिस्टम के खेल मे नियम कायदे फेल हो जाते है। सूचना संसार की टीम जब आज सोमवार 25 नवंबर को मौके पर गई तो यहां सूचना पट के साथ-साथ वन ब्लाक मे किये गए पौधरोपण के ज़मीनी हलात देखकर मन व्यथित हुआ कि ज़िम्मेदार हरियाली संरक्षण के वनविभाग ने किस तरह भ्रस्टाचार किया है।
आज न सूचना पट है और न वन ब्लाक के अंदर पौधरोपण स्थान पर पट्टिका सुरक्षित है। और न ही रोपित पौधे बचे है। ज्यादातर पौधों को पानी के अभाव ने कुपोषित कर दिया है। अर्थात सुखा दिया है। सवाल यह है कि इस छोटी सी बानगी से उस भ्रस्टाचार पर कार्यवाही कैसे संभव होगी जो विस्तार पौधरोपण कागजों मे हर साल सभी वनरेंज, प्राथमिक पाठशाला, स्वास्थ्य उपकेंद्र, ग्राम पंचायतों मे होता है।
अन्य विभागों को हर साल पौधरोपण की ज़िम्मेदारी व संरक्षण का काम दिया जाता है लेकिन फोटोशूट के बाद खबर छपती है और ग्राउंड पर वास्तविकता कुछ और होती है। बाँदा के यह छोटे से क्षेत्र मे हुए पौधरोपण की बात है लेकिन जब आप / ज़िम्मेदार अधिकारी वार्षिक पौधरोपण जिनका जियो टैंगिंग होता है। उनकी जुलाई के बाद अब गिनती करेंगे तो अधिकांश पौधरोपण सूखा मिलेगा। क्योंकि विभागीय वाचर से वनरेंजरों तक के पास अपने वनरेंज मे नियमित सक्रियता की हीलाहवाली है। दफ्तर के फ़ाइल वाले आंकड़े और मजदूरों को पौधरोपण मे हुए कागजी भुगतान के कारनामों मे पौधरोपण को बचाने की संकल्पना धूमिल हो जाती है। खैरमगदम बाँदा मे वार्षिक पौधरोपण की पूरी कहानी अगली क़िस्त मे आपके सामने रखी जायेगी। तथ्यात्मक खबरों के लिए आधार चाहिए और ग्राउंड रिपोर्ट के लिए सूचना संसार चाहिए।