जेल में बंद कर दिया गया यातनाएँ दी गईं फिर भी वह भारत माता की जय के नारे लगाते रहे | Soochana Sansar

जेल में बंद कर दिया गया यातनाएँ दी गईं फिर भी वह भारत माता की जय के नारे लगाते रहे

उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला भी आजादी की लड़ाई का गवाह रहा है. यहां पर एक शख्स ने कम उम्र में ही क्रांतिकारी बन अंग्रेजों से मोर्चा शुरू कर दिया और स्कूल की पढ़ाई के बजाय वह क्रांतिकारी बन स्वतंत्रता आंदोलन के लिए निकल पड़े. आखिरकार उन्होंने आजादी की लड़ाई में देश के विभिन्न हिस्सों के साथ अमेठी को आजादी दिला दी. आज उनका नाम बड़े ही गर्व से लिया जाता है.
अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील के रिछौरा दतनपुर गांव के रहने वाले गुरु प्रताप सिंह की. 4 दिसंबर 1920 को जन्म लेने वाले गुरु प्रताप सिंह 20 वर्ष में ही क्रांतिकारी बन गए. 20 वर्ष की अवस्था में स्कूल से भाग कर उन्होंने गांधी जी के विचारों को सुना और देश आजाद होने तक उन्होंने लड़ाई लड़ी. पहले उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने सुल्तानपुर जेल में बंद किया. उन्हें वहां पर आग से जलाया गया. इसके अलावा तमाम शारीरिक यातनाएं दी गईं. कोड़ों से मारा गया, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. फिर वहां से उन्हें हटाकर नैनी जेल में बंद कर दिया गया. यहां पर भी उन्हें अनेक यातनाएँ दी गईं. लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ कुर्बान करने की ठानी थी, तो उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया. वह बार-बार भारत माता की जय के नारे लगाते रहे और आखिरकार अंग्रेजी हुकूमत को उन्होंने परास्त कर दिया.
अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई लड़ने वाले गुरु प्रताप सिंह काफी क्रांतिकारी थे. उन्होंने कई किताबें अपने आप लिखी, जिसमें आजादी की लड़ाई के किस्से, कैसे मिली आजादी जैसी तमाम किताबों को उन्होंने स्वयं लिखा. और वह बड़े स्तर पर प्रकाशित भी हुईं. इसके साथ ही गुरु प्रताप सिंह ने 1952 से लेकर 1962 तक बतौर विधायक गौरीगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही भूमि धरी आंदोलन का हिस्सा भी वह बने.

Like us share us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *