@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा।
- बाँदा के थाना मटौंध अंतर्गत ग्राम मरौली खंड 5 मे हुआ हादसा।
- खदान के गड्ढे मे 7 वर्षीय बालिका खुशबू की डूबकर मौत हो गई।
- मरौली-चट चटगन गांव का रमैया केन नदी की कछार मे सब्जी बोता है, बेटी खेलते वक्त गड्ढे गिर गई थी।
- मौरम खंड संचालक संजीव गुप्ता बतलाए जाते है। खनिज एक्ट उल्लघंन मे इन्हें कई बार फटकार व जुर्माना हुआ है लेकिन बेपरवाह रौबदारी है।
बाँदा। थाना मटौंध क्षेत्र के ग्राम मरौली खंड 5 मे बीते रविवार को चट-चटगन निवासी रमैया किसान की 7 वर्षीय बेटी मौरम खदान के गड्ढे मे डूब गई है। जानकारी मुताबिक बेटी खेलते वक्त उक्त पानी भरे बड़े गड्ढे मे गिरी जिससे उसकी मौत हो गई। आनन फानन मे परिजनों ने जिला अस्पताल दिखाया लेकिन तब तक डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
अवैध खनन से होते है खतरनाक गड्ढे –
मरौली खण्ड 5 तो बानगी भर है। मरौली खंड एक मे भी कमोबेश यही दुर्गति है। बाँदा की दो दर्जन मौरम खंड बेलगामी से रातदिन भारी उत्खनन कर रहीं है। हर साल किसी न किसी खदान मे मजदूरों अथवा बच्चों, किसानों की इस तरह मौतें सामान्य हो गया है। दबाव पड़ा तो परिजनों की तरफ से तहरीर मिल जाती है। अथवा ले-देकर थाने मे समझौता करा दिया जाता है। गांव का किसान किसी रसूखदार ठेकेदार / मौरम माफिया / सत्तारूढ़-समाजवादी नेता जो धंधे मे संलिप्त है उनसे टकराने की क्षमता नही रखता है। एक खदान मे लोडिंग देखने वाले सेंगर साहब की मानें तो ऐसे हादसों पर इलाकाई माननीयों व थानेदार की सुलह करवाने मे बड़ी भूमिका होती है। अलबत्ता खदान संचालक को सबको समझना पड़ता है। हादसों मे मृतक पीड़ित पक्ष को कम रकम देकर फर्म मालिक के नाम कर्मचारी ज्यादा का बाउचर भरते है। ये सिस्टम ऐसे ही चलता रहता है।
मानक ताक पर और बट्टा सरकार की साख पर-
बाँदा के इस अवैध खनन से जहां एक तरफ समाजवादी सरकार की तर्ज पर ही बीजेपी के कृत्यों को खनन मामलों मे देखा जाने लगा है। वहीं माननीयों / विधायक / विधायक पतिदेवता के मौरम खंड, ओवरलोड मे मिलीभगत से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी की साख पर बट्टा लग रहा है। लेकिन माननीयों को इल्म है कि आज लूट लो कल का क्या भरोसा टिकट किसको मिलता है। वैसे भी सियासत अब सिद्धांत पर नही अवसरवादी होती है। मानक तो 3 मीटर गहराई का है लेकिन तस्वीर गवाही देती है ये भारी तालाब जैसेगड्ढे किसी को भी डुबो सकते है।