लखनऊ। हर साल की तरह इस बार भी रेलवे कर्मियों को बोनस मिलने की उम्मीद थी। इसके बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अभी तक कोई घोषणा न होने से रेल कर्मियों में नाराजगी है। आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन ने 20 अक्टूबर तक रेलकर्मियों के बोनस की घोषणा न होने पर 22 से एआइआरएफ के बैनर तले संघर्ष करने के लिए मजबूर होंगे। यह निर्णय ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) की ओर से स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लिया गया।
रविवार को स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय द्वारा कोरोना काल में रेलों को निजीकरण और आउटसोर्सिंग, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने, महंगाई भत्ते को जारी करने और बोनस के भुगतान करने के आदेश पर काफी गंभीर बहस हुई। इस कोरोना काल में ही रेल कर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दिन रात काम किया है, फिर भी सरकार रेलकर्मियों के बोनस के भुगतान के आदेश जारी करने में आनाकानी कर रही है। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय ने बोनस देने का प्रस्ताव की फाइल वित्त मंत्रालय को भेज दी है। बोनस का भुगतान हमेशा दुर्गा पुजा से पहले कर दिया जाता है, लेकिन इस बार अभी तक बोनस को भुगतान के आदेश नहीं हुआ है। इससे कर्मियों में नाराजगी है।
7800 स्टेशनों पर यात्रियों को करेंगे जागरूक
एआइआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि रेल कर्मचारियों ने कोरोना महामारी के बीच भी ट्रेनों का संचालन कर प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया। माल गाड़ियों से रिकार्ड माल दुलाई की। आवश्यक वस्तुओं को इस कोरोना महामारी में एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने का काम किया। वहीं सरकार 100 चुनिंदा रेल मार्ग पर 151 ट्रेनों का संचालन निजी हाथों में देने का काम कर रही है, जो गलत है। 7,800 रेलवे स्टेशनों पर रेल बचाओ-देश बचाओ समितियों का गठन कर लोगों को रेल के प्रति जागरूक कर सरकार के खिलाफ सीधी कार्यवाही की जाएगी।