दलबदलू मुकुल राय को PAC अध्यक्ष बनाने पर अड़ीं ममता | Bengal Politics News

हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष की भूमिका भी काफी अहम है। इसीलिए संसद से लेकर विधानसभा तक में ऐसी व्यवस्था की गई है कि चाहकर भी कोई सरकार और सत्तारूढ़ दल मनमाने तरीके से और निरंकुश होकर कोई काम न कर सके। संसद और विधानसभा में अलग-अलग समितियों की व्यवस्था की गई है। और इनमें सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ विपक्षी दलों के सांसदों व विधायकों को भी स्थान दिया गया है। यही नहीं, इनमें कुछ अहम समितियां हैं, जिनके अध्यक्ष पद पर विपक्ष के नेता का ही अधिकार होता है। इसीलिए यह व्यवस्था एक परंपरा भी है। इस परंपरा के निर्वहन में नैतिकता सबसे महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि बंगाल के चुनावी इतिहास में पहली बार मुख्य विपक्षी दल का दर्जा प्राप्त करने वाली भाजपा का तृणमूल के साथ टकराव तेज हो गया है।

Trending news: West Bengal: Mamta adamant on making defector Mukul Rai as PAC  President - Hindustan News Hub

सूबे में नई सरकार बनने के बाद 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र दो जुलाई से शुरू होने से पहले ही पीएसी समेत दलबदल विरोधी कानून के मुद्दे पर भाजपा आक्रामक है। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने सर्वदलीय और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक बुलाई है, लेकिन असली लड़ाई पीएसी के अध्यक्ष पद को लेकर छिड़ी है। पीएसी समेत विधानसभा की चार समितियों के लिए 20-20 सदस्य निर्विरोध मनोनीत हो चुके हैं। पीएसी के सदस्य के रूप में भाजपा छोड़कर तृणमूल में शामिल होने वाले मुकुल राय भी मनोनीत हुए हैं। अब इन चार समितियों के अध्यक्ष के नाम की घोषणा होनी है। असली विवाद यहीं से शुरू हुआ है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने मुकुल राय को पीएसी के अध्यक्ष पद पर बैठाने की तैयारी कर रखी है, जबकि परंपरा के मुताबिक यह पद विपक्ष यानी भाजपा को मिलना चाहिए।

मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का तर्क है कि विधानसभा की लिखा-पढ़ी में मुकुल राय अब भी भाजपा के विधायक हैं। इसीलिए हम उनका समर्थन करेंगे। उधर भाजपा ने दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल का विधायक पद निरस्त करने की मांग स्पीकर से मिलकर तेज कर दी है। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी का कहना है कि मुकुल का विधायक पद निरस्त कराने के लिए कोर्ट तक जाएंगे। यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब सावर्जनिक रूप से मुकुल भाजपा छोड़कर अपने बेटे के साथ तृणमूल में शामिल हो गए हैं, फिर वे भाजपा विधायक के तौर पर पीएसी के अध्यक्ष कैसे बनेंगे? यही वजह है कि भाजपा ही नहीं, कांग्रेस से लेकर वामदल भी मुख्यमंत्री की नैतिकता पर सवाल उठा रहे हैं। भाजपा का कहना है कि दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल राय के विधायक पद को निरस्त करने के लिए सुनवाई का दिन विधानसभा में तय हो चुका है। ऐसे में पीएसी जैसी महत्वपूर्ण समिति के जिम्मेदार पद पर उन्हें बैठाना अवैध और असंवैधानिक होगा। माकपा और कांग्रेस नेताओं का सवाल है कि जब मुकुल मुख्यमंत्री की मौजूदगी में तृणमूल में लौट चुके हैं तो फिर उन्हें भाजपा विधायक बताकर पीएससी के अध्यक्ष पद पर बैठाना कहां की नैतिकता है?

WB CM Mamata Banerjee claims Mukul Roy is BJP memeber over PAC chairman  issue । Sangbad

पांच साल पहले इसी तरह से कांग्रेस की सिफारिश को ताक पर रखते हुए कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने मानस भुइयां तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें पीएसी का अध्यक्ष बना दिया गया था। हालांकि तृणमूल का कहना है कि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है और स्पीकर अंतिम निर्णय लेंगे, लेकिन जिस तरह से ममता ने मुकुल को समर्थन देने की बात सार्वजनिक रूप से कही है उसके बाद क्या होगा, यह सबको पता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस समय बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) को लेकर जो कुछ हो रहा है, उसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही नहीं कहा जा सकता। पीएसी विधानसभा की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक है। इसका मुख्य काम सरकारी खर्चो के खातों की जांच करना है। जहां भी सार्वजनिक धन का व्यय होता है, वहां-वहां यह समिति जांच कर सकती है। 2016 से पहले तक इसका अध्यक्ष विपक्ष से होता था। विपक्षी दल की राय से स्पीकर पीएसी का अध्यक्ष नियुक्त करते थे, परंतु 2016 के विधानसभा चुनाव के बाद ममता सरकार ने यह परंपरा ही बदल दी। वह विपक्षी विधायक को तोड़कर पिछले दरवाजे से पीएसी के अध्यक्ष पद पर बैठा रही हैं। ऐसा करने से सरकार का कामकाज कभी पारदर्शी नहीं हो सकेगा।

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