महाराष्ट्र: प्रशासन की लापरवाही की वजह से गई लोगों की जान, एक साल से थी बांध में दरार

मुंबई, महाराष्ट्र के रत्नागिरी में डैम टूटने की वजह से सात गावों में बाढ़ जैसे हालात हैं। मृत्कों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रशासन अबतक 11 शवों को बरामद कर चुका है। अभी भी कई लोगों के लापता होने की आशंका है। एनडीआरएफ और राज्य पुलिस के कर्मी तलाश अभियान चला रहे हैं। वहीं इस हादसे में प्रशासन की बड़ी लापरवाही की बात सामने आ रही है।

मृत्कों के परिजनों ने स्थानिय प्रशासन को हादसे का जिम्मेदार ठहराया है। स्थानिय लोगों का कहना है कि बांध गलभग 14 साथ पुराना था और पिछले एक साल से बांध में दरार थी, प्रशासन से इसकी मरम्मत के लिए कई बार अनुरोध किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि बांध किस तहसील में पड़ता है, इसे लेकर विवाद था। ग्रामीणों ने चिपलून और दपोल दोनों जगहों पर बांध की मरम्मात कराने को लेकर आवेदन, लेकिन अधिकारियों ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया।

वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी घटना के संबंध में जांच के आदेश दिए हैं। महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने कहा है कि राज्य सरकार जांच कर पता लगाएगी की इसमें किसकी लापरवाही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन लोगों के घर बाढ़ में बह गए हैं सरकार उनके लिए सुरक्षित स्थान पर घर बना कर देगी। हादसे में जान गवाने वाले लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

बता दें कि महाराष्ट्र में लगातार हो रही बारिश से रत्नागिरी में तिवरे डैम टूट गया था। जिससे नजदीक बसे करीब सात गांवों में बाढ़ आ गई है। हादसे में 23 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। अब तक 11 शव बरामद किए गए हैं, जिन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। बताया जाता है कि भारी बारिश के चलते बांध में जलस्तर बहुत बढ़ गया था, जिसकी वजह से यह बांध देर रात अचानक टूट गया।

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