सबके लिए प्रार्थना करते हुए हम 2021 में प्रवेश कर चुके

र्वे भवन्तु सुखिन:किरण चोपड़ाहैं। 2020 कभी न भूलने वाला मनहूस साल होगा, जिसमें बहुत लोगों ने अपनों को खोया। यह नुक्सान विश्व स्तर पर था।

बहुत से लोगों के व्यापार बंद हुए, नौकरियां गईं, सेहत गई, बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा। कुल मिलाकर सब कुछ ठहर गया। डर और सहम का वातावरण?था। सबके अन्दर यही डर था कि न जाने किस समय क्या हो जाए।


हम सभी भारतवासी सर्वे भवन्तु सुखिन: पर विश्वास रखकर चलते हैं। यही नहीं सरकार यानी हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी जी समय-समय पर जनता के साथ जुड़े रहे, उन्हें डर से मुक्त करने के लिए कहीं दीपक जलवाए

, कहीं थालियां बजवाईं, कहीं राम मंदिर का शिलान्यास करते हुए सबकी धर्म में आस्था पैदा की। यही नहीं सरकार ने हर बिजनेसमैन को मुश्किलों से निकालने के लिए?

कई जगह सिर पर हाथ रखा। कहीं पर साथ दिया, कभी सभी स्ट्रेच्युरी पेमैंट पर जीएसटी, इन्कम?टैक्स, प्रॉविडेंट फंड, कहीं डेट बढ़ाकर, कहीं रियायतें देकर हर सम्भव मदद की, परन्तु एक तो संकट?इतना बड़ा था

और विश्व स्तर पर लोगों को कोरोना के कारण नुक्सान भी बहुत बड़ा था, जानमाल की हानि थी। कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से तो?खुश हो ही नहीं सकता।

 अगर एक मां के कई?बच्चे हों तो वह भी सारे बच्चों को खुश नहीं रख सकती। यह तो एक पीएम हैं, जिनसे अनेक भाषाओं, धर्म, जाति और राज्यों के लोग जुड़े हैं।

कहीं न कहीं लोगों की सरकार, ईश्वर, पीएम, सीएम से नाराजगी रहती है। 2021 की शुरूआत कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण के ड्राई रन से हुई।

नए साल में देश में टीकाकरण भी शुरू हो जाएगा।


कोरोना की मार से विश्वभर की अर्थव्यवस्था कराह रही है लेकिन भारत के पीएम की सूझबूझ से इस समस्या से भी निपटा जा रहा है क्योंकि वह जमीन से जुड़े हैं और लोगों की समस्याओं को समझते हैं।

यही नहीं दिल्ली के सीएम भी जमीन से जुड़े हैं और इन सबके बीच भारतीय रिजर्व बैंक इस दौरान बहुत ही मददगार रहा, आम लोगों के साथ व्यापार, उद्योगों को कई तरह से राहत देकर इन आर्थिक चुनौतियों से निपटा जा रहा है।

इसका थोड़ा सा सुखद अनुभव इसलिए महसूस हो रहा है क्योंकि  हमारी अर्थव्यवस्था पहले की तरह पटरी पर लौटने  का भरसक प्रयत्न कर रही है।

लोगों की जिंदगी भी नार्मल होती जा रही है। उम्मीद है 2021 लोगों के लिए राहत और मजबूती लेकर आया है।

परन्तु अभी भी हमें बहुत सतर्कता की जरूरत है। कोरोना का नया स्ट्रेन भी आ गया है। हम सभी को अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव स्थाई रूप से लाना होगा।

मास्क, दो गज की दूरी बहुत  है जरूरी। असल में कोरोना ने कई दिखावोंं जो शादियों, फंक्शन पर होते थे, रोक लगा दी है।

कई चीजें जो अनावश्यक थी उन पर भी अपने आप ही रोक लग गई। अभी छात्र और उनके माता-पिता कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।

उम्मीद है उन्हें भी इस साल के मध्य तक राहत मिलेगी।
नए साल पर लोग नए ढंग से और नए संकल्प के साथ काम करते हैं, हम भी इस मामले में आप से अलग नहीं हैं।

पिछले साल की तड़प और मानवीय क्षति को देखते हुए साल की शुरूआत हमारे यहां पारम्परिक रूप से हवन के साथ हुई है।

मैं पहले ही स्पष्ट कर चुकी हूं कि प्रार्थना सबके लिए की गई अर्थात सर्वे भवन्तु सुखिन: यानी कि सब लोग सुख में रहें लेकिन इसके साथ ही नए वर्ष पर हमारे सामने कई चुनौतियां हैं।

हालांकि उम्मीदों के रास्ते खुले ह तो हमें इन दोनों पर ही साथ-साथ आगे बढऩा है। कोरोना खत्म होगा, स्कूल-कालेज खुलेंगे, बाजार खुल चुके हैं

, किसान आंदोलन खत्म होगा और ये लोग अपने घरों को लौटेंगे तथा खेत-खलिहान में पहले की तरह जुट जाएंगे। इसके अलावा जो फैक्ट्रियां, कारखाने और उद्योग-धंधे बंद हो गए थे, वे फिर से खुल जाएंगे।

जो मजदूर दिल्ली से लौट कर बिहार या पूर्वी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश लौट गए उनकी वापसी होगी, बेरोजगारी दूर होगी।

ऐसी कई चुनौतियां हैं जिनका सामना करते हुए हम जीवन सामान्य रूप से जीने की पटरी पर आ जाएंगे। खुशी इस बात की है कि वर्ष 2021 के आरम्भ में ही हम ऐसी उम्मीद कर रहे हैं और जब उम्मीद की किरण रोशन होती है तो सब कुछ सही होता है।

कितने ही गीतकारों ने इतनी अच्छी-अच्छी बातें कहीं हैं, जिन्हें जीवन में उतार कर आगे बढऩा है। कन्हैया ने कहां जन्म लिया, कहां किसने पाला, कितनी मुसीबतों का सामना किया, कितने राक्षसों को मारा और आखिरकार धर्म युद्ध हुआ जिसमें उन्हें विजय मिली।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मां जगदम्बा, महालक्ष्मी, महा सरस्वती और महाकाली के रूप में मानव जाति का कल्याण किया गया

तो यह हमारी आस्था की कहानी है जो हमारे जीवन को आज भी अपने साथ चला रही है।
हमारे छात्र और कर्मचारी या फिर अन्य लोग आज भी कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं परन्तु मेरा मानना है

कि इस कोरोना काल में हमने चुनौतियों से लडऩा सीखा, सबकुछ साकारात्मक रहा, आनलाइन कक्षाएं छात्रों ने सीखीं तो शिक्षकों ने भी खुद को अपडेट किया। नई-नई तकनीक मोबाइल ने सिखला दी और सबका सिस्टम आनलाइन हुआ। फिर भी मुश्किलें

आईं, मेरा मानना है कि मुश्किलों में ही आदमी और निखरता है। पिछले वर्ष ही हमने अश्विनी जी को खोया था लेकिन वो कहा करते थे

कि मुश्किलों से घबराना नहीं। उनकी बात हम स्वीकार करते हैं और पालन कर रहे हैं। इसीलिए मुश्किलों पर हम विजय पा रहे हैं।

कई और क्षेत्र हैं जहां हर किसी के लिए मुश्किलों भरा
समय आता है, वह भगवान पर भी आया है परन्तु हम मुश्किलों से लड़ते हैं तभी जीतते हैं, इसे ही जीवन का उतार-चढ़ाव कहा गया है।

 हम लोग अपने काम में डटे रहें, मेहनत करते रहें और सबके भले की भावना के साथ आगे बढ़ते चलें तो सब कुछ सामान्य होगा यह तय है।

इसलिए वर्ष 2021 के बारे में
हम यही कहेगें कि यह वर्ष 20 से 21 ही साबित होगा क्योंकि हम उम्मीदों के साथ चल रहे हैं। एक बार फिर से हर किसी को हैप्पी, हैल्दी, वैल्दी न्यू ईयर।

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