दिल्ली आंदोलन में गए रामपुर के किसान ने की आत्महत्या

मुरादाबाद। दिल्ली किसान आंदोलन में गए रामपुर जिले के वृद्ध किसान ने आत्महत्या कर ली। शव धरना स्थल के निकट बाथरूम के अंदर फांसी के फंदे पर लटका मिला। सूचना मिलने पर स्वजनों में चीख पुकार मच गई। जानकारी पर पुलिस और प्रशासन में भी हड़कंप मच गया। अधिकारी किसान के गांव पहुंच गए हैं।

आत्महत्या करने वाले किसान रामपुर के बिलासपुर तहसील के पसियापुरा गांव के 70 वर्षीय कश्मीर सिंह हैं। वह करीब 20 दिन पहले अपने भतीजे यशपाल व अन्य किसानों के साथ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर धरने में शामिल होने गए थे। वहां कृषि कानून के विरोध में किसानों का धरना चल रहा है। शनिवार सुबह उन्होंने धरनास्थल के पास बने बाथरूम में आत्महत्या कर ली। शव के पास से गुरमुखी में लिखा हुआ एक सुसाइड नोट भी मिलने की बात सामने आई है। किसान की आत्महत्या की खबर गांव पहुंचने पर स्वजनों में चीख पुकार मच गई। किसान की पत्नी बलवीर कौर समेत अन्य स्वजनों ने केंद्र सरकार को जमकर कोसा। किसान के तीन पुत्र व एक पुत्री हैं। पुत्रों में प्रताप सिंह सबसे बड़ा है। सतनाम सिंह मंझला और लखविंदर सिंह लाडी सबसे छोटा है। एक बेटी अमरजीत कौर है। किसान के पास करीब साढ़े तीन एकड़ भूमि है। उधर, किसान के आत्महत्या किए जाने की जानकारी से प्रशासन में हड़कंप मच गया। किसी अनहोनी के डर से अधिकारियों ने पुलिस के साथ वहां डेरा डाल दिया है। एसडीएम डा. राजेश कुमार, सीओ सतीश कुमार, प्रभारी निरीक्षक ब्रजेश कुमार यादव भारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंच गए। अधिकारियों ने आक्रोशित स्वजनों और ग्रामीणों से बातचीत की। बाद में अपर जिलाधिकारी जेपी गुप्ता और अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह भी गांव पहुंच गए।

हेमकुंड साहिब में सेवादार थे कश्मीर सिंह

दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान आत्महत्या करने वाले कश्मीर सिंह के छोटे बेटे ने बताया कि उनके पिता सुख सागर गुरुद्वारा पीली कोठी चमोली उत्तराखंड में सेवादार का कार्य करते थे। वह करीब 20 वर्ष से वहीं रहकर सेवा कर रहे थे। ठंड को देखते हुए 10 अक्टूबर को गुरुद्वारा परिसर के कपाट बंद होने पर वह अपने घर पसियापुरा गांव आ गए थे। यहां से बीते 25 नवंबर को वह क्षेत्रीय किसानों के जत्थे के साथ धरना देने दिल्ली गए थे। वहां एक सप्ताह रुकने के बाद वह घर लौट आए थे। करीब 20 दिन पहले वह दोबारा धरने में शामिल होने दिल्ली गए थे। घटना से परिवार ही नही समूचा गांव सदमे में हैं। 

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