@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
- आवास-विकास बी ब्लाक मे अधिकारियों ने कराया गबन, फर्जी प्रस्ताव पर हो गई ओपन स्पेस ‘पार्क’ की रजिस्ट्री।
- उक्त ओपन स्पेस ‘खुले स्थान’ को हेल्थ सेंटर मे तब्दील करके की गई नीलामी, जिसमे 4 लोगों की फर्मों ने सील्ड बिड प्रस्तुत की थी।
- नीलामी मे शामिल 4 लोगों मे 2 फर्म अज्ञात गुप्ता की थी। दो अन्य फर्म क्रमशः न्यू फेयर बिजनेस सेंटर, रामनगर आलमबाग, लखनऊ व बृजेश कुमार पांडेय, 16/34 सरोजनी नायडू मार्ग,लखनऊ थी।
- ओपन स्पेस ‘खुले स्थान’ की छद्म नीलामी मे अज्ञात गुप्ता का ही खेल था। जिसने अपनी चिरपरिचित 4 फर्मों को नीलामी मे शामिल कराया। वहीं स्वयं की दो फर्म अवनी-परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशन प्रा.लि.,बी 124, आवास विकास, बाँदा ( अज्ञात का आवास स्थान ) व अवनी परिधि हेल्थकेयर प्रा.लि., बी 58, 59 ( आवासीय भूखंड पर संचालित अवैध व्यावसायिक निजी नर्सिंग होम ), आवास विकास कालोनी, बाँदा सील्ड बिड मे बोली लगाने को सूचीबद्ध की गई।
- बिना दिनांकित / गैर पंजीकृत लेटरपेड पर ओपन स्पेस ‘खुले स्थान’ को हेल्थकेयर या कम्यूनिटी सेंटर मे परिवर्तित करने का फर्जी प्रस्ताव खुद अज्ञात गुप्ता ने ‘स्थानीय निवासी वेलफेयर एसोसिएशन’,कार्यालय बी-124, आवास विकास कालोनी (अज्ञात गुप्ता का घर ), बाँदा के पते पर तत्कालीन सपा सरकार के मुख्य सचिव सेवानिवृत्त आईएएस आलोक रंजन को प्रेषित किया था।
- अज्ञात गुप्ता ( अवनी परिधि हेल्थकेयर प्रा.लि. नर्सिंग होम संचालक ) के फर्जी प्रस्ताव पर सपा सरकार के मुख्य सचिव कार्यालय के विशेष कार्याधिकारी अजय के.श्रीवास्तव ने तत्कालीन आयुक्त आवास विकास परिषद ( आईएएस श्री धीरज साहू पूर्व डीएम बाँदा ) को कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए थे।
- सूचना अधिकार से प्राप्त जानकारी अनुसार आवास विकास बी ब्लाक मे ओपन स्पेस / पार्क की संख्या 3 है। पहला पार्क गैस एजेंसी संचालक श्री रामेन्द्र शर्मा के घर के सामने, दूसरा पार्क टीवीएस एजेंसी के पास गली के अंदर व तीसरा ओपन स्पेस खुला स्थान वह जो अज्ञात गुप्ता ने अवैध रजिस्ट्री करा लिया है।
बाँदा। आवास विकास परिषद कालोनी बी ब्लाक मे समाजवादी सरकार के वक्त स्थानीय लैंडलार्ड / कूटरचित फर्मों के मास्टरमाइंड / अवनी परिधि हेल्थकेयर नर्सिंग होम संचालक ने बेशकीमती ओपन स्पेस ‘खुला स्थान’ तत्कालीन सदर रजिस्ट्रार श्री राकेश मिश्रा से रजिस्ट्री कराया था। सपा सरकार मे ज़िले की बेशकीमती ज़मीन बड़े स्तर पर भूमाफिया यूं ही तत्कालीन सदर रजिस्ट्रार श्री राकेश मिश्रा की दयादृष्टि से हथिया लिए थे। शहर मे ऐसी 4 रजिस्ट्री सदर रजिस्ट्रार श्री राकेश मिश्रा ने गलत तरीक़े से की थी। जिसमे पहली डाक्टर नंदलाल शुक्ला पूर्व प्रचार्य पंडित जवाहरलाल नेहरू कालेज बाँदा को सरकारी आवास व डिग्री कालेज की भूमि लीज पर रजिस्ट्री की थी। वहीं दूसरी पीला गिरजाघर ( सेंट जार्ज स्कूल नजूल लैंड गाटा संख्या 1012) रजिस्ट्री कर दिया। तीसरी रजिस्ट्री अज्ञात गुप्ता को उनके नर्सिंग होम अवनी परिधि के ठीक समीप स्थित ओपन स्पेस पार्क शासन-सत्ता की सांठगांठ से लखनऊ स्तर पर जालसाज़ी से रजिस्ट्री कराया गया। वहीं चौथी अनलीगल रजिस्ट्री डिवाइन मैरिज हाल ( नजूल लैंड बेथल चर्च इंद्रा नगर रोड ) की रजिस्ट्री चर्च के पादरी / डीन की बदौलत संभव हो सकी थी।
गौरतलब है यह चारों कारनामों के कर्ताधर्ता तत्कालीन सदर रजिस्ट्रार श्री राकेश मिश्रा ही थे। आज भले ही मुट्ठीभर जनसेवी शिकायत कर्ता आवास विकास बी ब्लाक के ओपन स्पेस पार्क की लड़ाई पत्राचार से गाहेबगाहे लड़ते हो लेकिन सपा सरकार के मुख्य सचिव सेवानिवृत्त आईएएस आलोक रंजन के खासमखास रहे अज्ञात गुप्ता का कोई बालबांका अब तक नही कर सका है। नीचे फर्म का लिंक है।
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बाँदा के लाचार आत्ममुग्ध अधिकारियों की बेचारगी बहुत खूब है-
ज़िले मे कृषि भूमि पर ताबड़तोड़ रिहायशी आवासीय प्लाटिंग का खेल हो या नजूल ज़मीनों की अवैध कूटरचित रजिस्ट्री का भ्रष्टाचार यह बाँदा प्रशासन के लिए जांच का मुद्दा कभी रहा ही नही है। क्योंकि ज़िले के रसूखदार लम्बरदार और सफेदपोश नेताओं के करीबी ही इन कारनामों के भामाशाह है। सदर रजिस्ट्री विभाग मे अंगद की तरह पैर जमाकर बैठे एक संविदा कर्मी राजू ( तत्कालीन सदर रजिस्ट्रार रहे श्री धर्मेंद्र चौधरी ने डेलीवेज पर लगाया था। तब संवाददाता ने इस विभाग के भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपति मे संलिप्त वलीउल जमा को बाँदा से ट्रांसफर कराया था।) ही जब ज़िले मे कृषि भूमि पर बीडीए से बिना ले-आउट / नक्शा पास कराए प्लाटिंग के कारोबार मे प्रॉपर्टीज डीलरों के हिस्सदारों मे शामिल हो तब अज्ञात गुप्ता जैसे ज़मीन ठगी करने वालों को कौन रोक सकता है ? आवास विकास से ही लगे नजूल भूखंड ‘पीला गिरजाघर’ को पूर्व पादरी रहे वाई रस्किन के दो सपूतों क्रमशः एल्फ्रेड रस्किन, एल्बर्ट रस्किन ने तत्कालीन सदर रजिस्ट्रार से लीज पर हथिया लिया है।
आज वहां इन्ही के रिश्तेदार,बहनोई आदि का कब्जा है। यही डिवाइन मैरिज हाल वाली नजूल भूमि पर हुआ उसमे ज़िले के एक कद्दावर पूर्व मौरम कारोबारी / व्यवसायी परिवार का आज खूबसूरत बारातघर संचालित है।
उल्लेखनीय है कि अवनी परिधि हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अज्ञात गुप्ता को बी ब्लाक मे विवादित भूखंड एचसी-1 जो पूर्व ओपन स्पेस / खुला स्थान था। और आज भी नगरपालिका मे पार्क दर्ज है यह कौड़ियों के भाव सपा सरकार मे दिया गया था। जिसकी परिभाषा बतलाते हुए आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता आरटीआई जवाब मे लिखते है कि ‘भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2018 के प्रस्तर 1.2.46 के अनुसार ”पार्क या खुले स्थान” से तात्पर्य ऐसे स्थान से है जो खुला या अनिर्मित हो। या जिसका विन्यास एवं विकास सार्वजनिक पार्क या उद्यान के रूप मे किया गया हो।’
अब बाँदा प्रशासन को यह परिभाषा कौन समझा सकता है जब उनका दावा हो कि बाँदा की प्रशासनिक व्यवस्था पारदर्शी व चाक चौबंद है। ‘जो ज़मीन सरकारी है, वो जमीन हमारी है’ का नारा अज्ञात गुप्ता सरीखों पर फिट बैठता है।
शिकायत कर्ता अज्ञात के तिलिस्म से कैसे लड़ेंगे –
अज्ञात गुप्ता का सोशल लिंकडिन लिंक नीचे है।
https://in.linkedin.com/in/agyat-gupta-25503a24
मध्यम वर्गीय और जनसेवी लोग इतने बड़े रसूखदार लैंडलॉर्ड अज्ञात गुप्ता से कैसे लड़ सकते है ? जब पूरी करप्ट ‘भ्रष्टाचार मे लिप्त’ व्यवस्था ओपन स्पेस हथियाने वाले के साथ खड़ी है। आज पार्क मे अवनी परिधि प्राइवेट नर्सिंग होम का विशाल जनरेटर लगा है। तमाम करीबी लोगों की अवैध पार्किंग है। बड़े वाहन जेसीबी, लोडर वहां खड़े होते है जिसमे कभी बच्चों को बचपन खेलना था। बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुधारना था और मुहल्ले वासियों को खुले स्थान का आनंद अनभूत करना था। आवास विकास परिषद ने 1983 मे जब बाँदा मे ए-बी ब्लाक का आवासीय भूखंड प्लान तैयार किया था तब तीन पार्क बी ब्लाक मे निर्धारित किये थे। वर्ष 1998 मे एक मंजिल आवास को मंजूरी मिली और आवास विकास ने लाटरी सिस्टम से भूखण्ड दिए। आज यहां बहुमंजिला भवन है, घरों मे बेसमेंट है और ज्यादातर कारोबार कर रहें है। महत्वपूर्ण है कि यहां एलआईसी बिल्डिंग से लगा ओजस मेडिकल स्टोर मालिक कुलदीप शुक्ला का भूखंड ही व्यावसायिक था। उन्होंने भी बाद मे खरीदा था लेकिन शेष भूखण्ड पर बेतरतीब कामर्शियल करोबार संचालित है। मसलन निजी नर्सिंग होम,बैंक,जांच केंद्र आदि।
बकौल किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह चुनाले हमने पुनः शिकायत की है। वे कहते है कि अन्नू रघुवंशी, अनीश, अनीता गुप्ता और उन्होंने शिकायत पत्र से जिलाधिकारी श्रीमती जे.रीभा जी को प्रार्थना पत्र देकर दिनांक 13 फरवरी को कार्यवाही की मांग उठाई है। वह पूर्व मे दिनांक 20 नवंबर 2024 को भी एक प्रार्थना पत्र दे चुके है। इसके पूर्व भी हर साल शिकायत करते है लेकिन प्रार्थना पत्र को कूड़ाघर मे डालने जैसे कृत्यों के खिलाड़ी उन्हें दफ्तरों की धूल खाती फ़ाइल तक समेट देते है। देखना यह होगा कि इस बार शिकायत कर्ता न्याय की चौखट पर हौसलों का दम तोड़ते है या न्याय पाते है।