उत्तरप्रदेश पुलिस सत्ता का आनंद ले रही संवेदनशील बनाने की ज़रूरत : सर्वोच्च न्यायालय’


  • पुलिसिया कार्यवाही पर सर्वोच्च न्यायालय की नाराजगी।
  • फरुखाबाद के बसपा नेता व बाहुबली माफिया अनुपम दुबे के भाई अनुराग दुबे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को कटघरे मे खड़ा किया।
  • जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को डर है उसे लगता है पेश होते ही पुलिस दूसरा मामला दर्ज करेगी।
  • पुलिस अब दीवानी न्यायालय की शक्ति ग्रहण कर रही है।
  • पीठ ने कहा आप अपने डीजीपी को बता देना जैसे उसे छुआ जाएगा, हम ऐसा कठोर आदेश पारित करेंगे कि उन्हें पूरी ज़िंदगी याद रहेगा। वे अफसर निलंबित होने से ज्यादा बहुत कुछ खो देंगे।
  • पीठ ने कहा डिजीटल जमाना है और आप याचिका कर्ता को पेश होने का पत्र भेज रहें है। मोबाइल पर संदेश भेजिए कब पेश होना है।
  • बसपा नेता व माफिया अनुपम दुबे पर जेल जाते वक्त 38 केस थे उसके बाद 27 और दर्ज किए गए है।


लखनऊ / दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बीते गुरुवार बसपा नेता, माफिया अनुपम दुबे के भाई अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा ‘यूपी पुलिस की कार्यशैली’ को कटघरे मे खड़ा कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि ‘उत्तरप्रदेश पुलिस सत्ता का आनंद ले रही है। संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है।’ पुलिस ने अनुराग दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से काउंटर जवाब मांगा है कि किन कारणों से याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत न दी जाए।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को जांच मे शामिल होने दे लेकिन गिरफ्तार न करें। अगर लगता है कि गिरफ्तार करना आवश्यक है तो कोर्ट को अवगत कराएं की यह कारण है।कोर्ट ने चेताया कि यदि पुलिस ने गिरफ्तार किया तो न सिर्फ हम उनके निलंबन का आदेश देंगे बल्कि वे कुछ और भी खो देंगे। उल्लेखनीय है अनुपम दुबे इंस्पेक्टर हत्याकांड मे उम्रकैद के सजायाफ्ता है। जेल जाते वक्त उन पर 38 मुकदमा थे जो बढ़कर 27 और दर्ज किए गए। इसके बाद उनके भाइयों पर केस लगे,गैंगस्टर लगा औऱ परिवार पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। 1987 मे पहला मुकदमा अनुपम पर लिखा गया उसके बाद वह जरायम के पेशे मे भूमाफिया बने। 13 जुलाई 2019 मे हुए इंस्पेक्टर रामनरेश हत्याकांड मे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई।  आज अनुपम दुबे पर 65 मुकदमे है। उनकी 4 करोड़ 36 लाख की होटल संपति जमीदोज की गई। यह राजस्व अधिकारियों द्वारा तालाब पर बनी बतलाई गई। सवाल यह कि जब होटल बनता है या कुछ और तब यही राजस्व अधिकारियों को क्या हो जाता है जैसा देशभर मे भूमाफिया के मामले मे होता है। बुनियाद बनते वक्त सब मौन रहते है। सरकार बदली तो कार्यवाही होती है। अमर उजाला की आज प्रकाशित खबर मुताबिक अब तक अनुपम दुबे की एक अरब की प्रॉपर्टी सरकार जप्त कर चुकी है। फिलहाल माफिया जेल मे है और भाई अनुराग सर्वोच्च न्यायालय की शरण मे जाकर न्याय की गुहार पर है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी हाल के घट रहे घटनाओं पर समसामयिक सवाल है।

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