सेक्शन 80C में मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाकर किया जाए 3 लाख रुपये, एक्सपर्ट्स की हिमायत

Budget 2021-22: Latest News & Updates on Indian Budget | Income Tax Slab |  Business News

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार एक फरवरी, 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही है। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी के मद्देनजर ‘अभूतपूर्व’ केन्द्रीय बजट पेश करने का वादा किया है। इसी बीच अच्छी खबर यह है कि कोविड-19 के बाद कुछ सेक्टरों में सुधार आने लगा है और अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है, किंतु अर्थव्यवस्था को पूरी तरह सामान्य अवस्था में लाने और स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।  

महामारी का सबसे बुरा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ा है, बहुत से लोगों को इस दौरान अपनी नौकरियां खोनी पड़ीं। आज भी हालात पहले जैसे नहीं हुए हैं। कुछ सेक्टर जैसे हॉस्पिटेलिटी, रिटेल, एंटरटेनमेंट, निर्माण, रियल एस्टेट आदि अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जूझ रहे हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का चीन से ध्यान हटने के कारण भारत के पास अपार संभावनाएं हैं, भारत विश्वस्तरीय कारोबार योजनाओं में अपने लिए स्थान बना सकता है। सरकार इसके बारे में जानती है और इसीलिए आगामी केन्द्रीय बजट से ढेरों उम्मीदें हैं। बजट में प्रभावी ऐलान उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाकर तथा इनकी आपूर्ति को सुनिश्चित कर अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। 

वेतनभोगी वर्ग की बात करें तो वे सबसे ज्यादा लोन चुकाते हैं। इस साल बहुत से लोगों की नौकरियां गई हैं या वेतन में कटौती हुई है। ऐसे में आगामी बजट में वेतनभोगी वर्ग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हैः 

1. धारा 80 सी के तहत कटौती की सीमा  को 1.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये करने की जरूरत, क्योंकि इसमें पिछले छह सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

2. चिकित्सा की लागत अधिक है और आज यह दर्द सभी महसूस कर रहे हैं।  महामारी के बाद की इस दुनिया में स्वास्थ्य बीमा अनिवार्यता बन गई है। धारा 80 डी के तहत समग्र सीमा को आम व्यक्ति के लिए बढ़ाकर रु 75000 तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए रु 1 लाख किया जाए। 

3. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर जीएसटी न्यूनतम हो, ताकि व्यक्तिगत पॉलिसीधारक के लिए प्रीमियम की लागत कम हो जाए।

4. वेतनभोगी वर्ग को 50000 रुपये की मानक कटौती दी गई है। इसमें संशोधन कर रु 1 लाख किया जाए। 

5. एलएलपी के साझेदारों को कारोबार आय के रूप में वेतन दिया जात है, जबकि कंपनी के निदेशकों को मिलने वाले वेतन पर कर नहीं लगाया जाता। यह अंतर को दूर किया जाए, इससे उन सभी छोटे एवं मध्यम कारोबारों को फायदा होगा जो एलएलपी के रूप में निगमित हैं। 

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