@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा / बुंदेलखंड
“पद्मश्री उमाशंकर पांडेय के साथ सीडीओ वेदप्रकाश मौर्य ने जारी किया पर्यटन विकास समिति का वार्षिक कैलेंडर।”
- गुरुवार 16 जनवरी को जारी किया पर्यटन विकास समिति के साथ अपनी तस्वीर वाला कलैंडर।
- पिछले पांच साल से बाँदा मे अफसरों का पानी खेल, जखनी के ‘जलग्राम’ से बुंदेलखंड के तालाबो का मेल।
- बाँदा के दो सरकारी जलग्राम क्रमशः बबेरू के जलालपुर और पैलानी के खरेई की नही खैरख्वाह। खबरों पर पानीदार होते तालाबों की प्रायोजित वाह-वाह।
बाँदा। चित्रकूट धाम मंडल के बाँदा मे बीते गुरुवार 16 जनवरी 2025 को बुन्देलखण्ड पर्यटन विकास समिति ने सीडीओ वेदप्रकाश मौर्य की उपस्थिति मे नए वर्ष के कलैंडर का आगाज कराया। बाँदा के विकासभवन स्थित अद्योहस्ताक्षरी मुख्य विकास अधिकारी के कक्ष मे उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जखनी निवासी पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय की मौजूदगी मे इस “पर्यटन कैलेण्डर 2025” का विमोचन किया गया है। गौरतलब है कि कार्यक्रम मे जिला विकास अधिकारी, सहायक अभियन्ता लघु सिंचाई, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी सहित पर्यटन समिति के सदस्य श्याम जी निगम, निखिल सक्सेना, अभिषेक सिंह एवं हर्षित निगम की भी उपस्थिति रहे है। श्याम जी निगम ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए समिति की ओर से आभार व्यक्त किया गया।
बाँदा को मिला राष्ट्रीय जल पुरुस्कार, दावा था पिछले एक दशक बने दस हजार तालाब-
बुंदेलखंड के बाँदा को बीते कुछ माह पूर्व महामहिम राष्ट्रपति महोदया के हाथों से राष्ट्रीय जल पुरुस्कार मिला था। इसकी पटकथा के सूत्रधार रहे वर्तमान मुख्य विकास अधिकारी श्री वेद प्रकाश मौर्या ने तत्कालीन डीएम श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल के साथ ज़िले मे वर्षा जल संचय और भूगर्भीय जल संरक्षण को लेकर अविरल जल अभियान के तहत जल बचाओ-जींवन बचाओ अभियान चलाया था। इसके तहत कुछ तालाब पर मिट्टी खुदाई व सुंदरीकरण का काम किया गया। इसमे मरौली की झील / तालाब व जसपुरा क्षेत्र मे चंद्रावल नदी पर मिट्टी खुदाई का काम जलशक्ति मंत्री के उपस्थित मे हुआ। लेकिन ग्राउंड पर वास्तविकता यह रही कि ज्यादातर तालाबों पर महज फोटोशूट की गई और आज उनके हाल खराब है। शहर के ही छाबी तालाब पर अमृत सरोवर योजना से 3 करोड़ रुपया अब तक कार्यदाई संस्था ने खर्च कर दिया लेकिन तालाब की शक्ल मुकम्मल न हो सकी है। वहीं सीडीओ बाँदा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मन की बात कार्यक्रम के 102 वें एपिसोड पर सफेद झूठ की इबारत लिख दी जिसका खुलासा सूचनाधिकार से हुआ है। हाईकोर्ट तक चक्कर लगे तब सीडीओ बाँदा ने 42 खेत तालाब की सूची प्रदान की जो ग्राम लुकतरा मे वर्ष 2019-20 मे बने थे। लेकिन इन्हें वर्तमान ग्राम प्रधान तुलसीराम यादव का जल संरक्षण कार्य उपलब्धि बतलाया गया।
कहां गए लुकतरा के 42 खेत तालाब, उनमें क्यों नही है पानी-
देश के प्रधानमंत्री जी से एक बड़ा झूठ मन की बात कार्यक्रम के 102 वें एपिसोड पर बुलवाया गया। उन्हें स्थानीय पंचायतीराज अधिकारी / सीडीओ ने भ्रामक रिपोर्ट प्रेषण करके यह उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान सीडीओ बाँदा ने वर्तमान ग्राम प्रधान तुलसीराम यादव व सचिव के माध्यम से लुकतरा ग्रामपंचायत मे पूर्व महिला ग्राम प्रधान श्रीमती शांतिदेवी के कार्यकाल मे बने 42 खेत तालाब ( साल 2019-20) की सूची को अपनी उपलब्धियों मे गिनाकर मन की बात तक पहुंचाने का काम किया गया।
सूचनाधिकार कानून 2005 से इसकी जानकारी संवाददाता को हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश पर दी गई है। हलात यह हुए की इस खबर को बाँदा का मीडिया लिखने को तैयार नही हुआ क्योंकि मामला देश के प्रधानमंत्री और मन की बात से जुड़ा था। उल्लेखनीय है कि बाँदा के वर्तमान सीडीओ वेदप्रकाश मौर्या एवं तत्कालीन डीएम श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल ने बीते माह दिल्ली मे राष्ट्रपति जी से राष्ट्रीय जल पुरुष्कार गृहण किया है। बतलाते चले कि उक्त 42 खेत तालाब मे दो तालाब स्वयं वर्तमान प्रधान तुलसीराम यादव ने भी लिए थे। आज उनमें तक पानी नही है। एक लघु और दूसरा मध्यम खेत तालाब लिया और प्रधान तुलसीराम डेढ़ लाख रुपया हजम कर गए। आज लघु तालाब मे 5 व 6 फरवरी को वार्षिक दंगल मेला लगता है। वही शेष 40 तालाब पडुआ मिट्टी होने से जल विहीन और अनु-उपयोगी साबित है।
एक दशक मे बाँदा के दस हजार तालाब पर पांच हजार तालाब लापता होने का ठप्पा…
अखबार की खबर मे बुंदेलखंड को पानी से लबालब करने की बात पर बीते एक दशक मे दस हजार तालाब की बात लिखी गई। लेकिन उसी अखबार मे अगले दिन पांच हजार तालाब गायब होने की रिपोर्ट भी प्रकाशित की गई। महत्वपूर्ण है कि बाँदा मे अमृत सरोवर योजना से कुल 405 तालाबों का रिनोवेशन / सुंदरीकरण किया गया है।
इसमे ज्यादातर गांव के तालाबो पर स्थापित विकास के दावों पर कागजी भ्रष्टाचार दिखाई देता है। अधिकांश गांव के तालाब पानी और सफाई से वंचित है। उदाहरण के लिए ग्राम सांडी क्षेत्र पैलानी, ग्राम खरेई, ग्राम मवई आदि। यहां यह भी बतला दे कि ग्राम लुकतरा के बीरा तालाब पर 3 करोड़ से ज्यादा रुपया खर्च हुआ पर मिटी निकासी के आलावा कुछ नही हुआ है।
तालाब की मिट्टी बेच दी गई है। वहीं शहर मे अमृत सरोवर योजना से 3 करोड़ रुपया छाबी तालाब पर ख़र्च हुयर लेकिन काम अधूरा है। इधर कागजी घोड़े पर बाँदा पानीदार है और सीडीओ साहब पद्मश्री के साथ केंद्र व राज्य सरकार तक खबरों के दावों पर आत्ममंथन की जगह आत्ममुग्ध है। अलबत्ता तालाब अपने को कामधेनु मानकर खामोश है जैसे कि समाज और जनता के प्रतिनिधि।