नईदिल्ली (आरएनएस)। दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए राजधानी की सड़कों पर चलने वाले वाहन सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।नए अध्ययन में दावा किया गया है कि वाहन उत्सर्जन प्रदूषकों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो सर्दियों के दौरान दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक को प्रभावित करता है।सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की ओर से किए अध्ययन में खुलासा किया है कि वाहन स्थानीय स्रोतों से पैदा होने वाले प्रदूषकों में आधे से अधिक हिस्सेदारी रखते हैं।
सीएसई की ओर से किए अध्ययन में साझा किए आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के वायु प्रदूषण में स्थानीय स्रोतों का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है।इनमें सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों से प्रदूषण या दिवाली उत्सव के दौरान जलाए गए पटाखों की तुलना में वाहन से निकलने वाले उत्सर्जन की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है।राजधानी में रोजाना लगभग 11 लाख निजी या कमर्शियल वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं, जिनसे निकले प्रदूषकों के कारण यहां की हवा जहरीली हो रही है।
इस अध्ययन के लिए आईआईटीएम, टेरी-एआरएआई, सीपीसीबी जैसे विभिन्न निकायों के वास्तविक समय वायु गुणवत्ता डाटा और गूगल मैप से यातायात डाटा का विश्लेषण किया गया है।इसमें पाया गया है कि शाम 5 से रात 9 बजे के बीच पीक ट्रैफिक घंटों के दौरान औसत ट्रैफिक गति 15 किमी/घंटा तक रह जाती है।इस दौरान दोपहर 12 से शाम 4 बजे के बीच कम ट्रैफिक वाले घंटों की तुलना में नं2 का स्तर 2.3 गुना बढ़ जाता है।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली की हवा को खराब करने में स्थानीय स्रोतों से फैला प्रदूषण की तुलना में पड़ोसी राज्यों में फैलने वाला प्रदूषण ज्यादा योगदान देता है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 35 प्रतिशत है।राजधानी से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में लगे कारखानों से प्रदूषण बढ़ा है।इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण जिम्मेदार है, जो 8.19 प्रतिशत का योगदान देता है।
रिपोर्ट में कहा है कि पार्किंग की बढ़ती मांग के कारण जगह की कमी हो रही है। इसने शहर की 10 प्रतिशत से अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया है।सालाना पंजीकृत होने वाली कारों के लिए 615 फुटबॉल मैदानों के बराबर जगह चाहिए।प्रदूषण कम करने के लिए सीएसई ने दिल्ली सरकार को सार्वजनिक परिवहन सिस्टम में सुधार सहित कई उपाय सुझाए हैं। बता दें, दिवाली के बाद से ही दिल्ली बहुत खराब वायु गुणवत्ता की चपेट में है।