@आशीष सागर दीक्षित,बाँदा।
“ग्राम बगदरी, तहसील मानिकपुर, ज़िला चित्रकूट निवासी दलित महिला व सहयोगी / एक अन्य पीड़िता राजपूत महिला ( अतर्रा ग्रामीण ) ने 24 अप्रैल को बाँदा सर्किट हाउस मे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर / यूपी महिला आयोग अध्यक्ष बबीता चौहान जी समेत बाँदा समस्त पुलिस स्टाफ / अफसरों के सामने अपनी आपबीती रखकर न्याय करने की गुहार लगाई है। दलित पीड़िता ने मुकदमा अपराध संख्या 043/25 थाना अतर्रा मे एक मुख्य अभियुक्त राजाभैया यादव ( संचालक विद्याधाम समिति / चिंगारी गैंग ) के अतिरिक्त चार फरार अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर अतर्रा आईओ / विवेचक व अभियुक्त के सजातीय सीओ प्रवीण यादव की राजाभैया यादव से जुड़े मुकदमों मे सांठगांठ का खुलासा किया तो सभागार मौन हो गया। अफसरों ने सीओ अतर्रा प्रवीण यादव को जहां गिरफ्तारी के लिए दो दिन की मोहलत दी वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के फटकार पर सीओ अतर्रा चुपचाप खड़े रहे। जबकिं अपने बचाव मे पहले वो अपहरण और 17 दिसंबर को दर्ज एक और मामले पर हाईकोर्ट से स्टे होने का सफेद झूठ बोलते दिखे। महिलाओं की साफगोई ने सीओ अतर्रा के अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म केस मे (2 फरवरी को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी, 21 फरवरी को राजाभैया गिरफ्तार हुए थे।) पांच माह बाद 23 अप्रैल 2025 को नरैनी सीएचसी मे दलित महिला के मेडिकल कराने के कृत्य को भी उजागर कर दिया है।”
- अतर्रा थाने मे मुकदमा अपराध संख्या 043/2025 पर कोई स्टे नही है। यदि ऐसा होता तो क्या तत्कालीन थाना प्रभारी कुलदीप तिवारी जी आरोपी को गिरफ्तार कर सकते थे ?
- मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 मे 17 दिसंबर को एफआईआर लिखी गई जबकि दलित महिला ने प्रार्थना पत्र 5 दिसंबर को अपर एसपी बाँदा को दिया था। फिर लगातार पत्राचार किया गया और 13 दिसंबर के पत्र पर 17 दिसंबर को मुकदमा लिखा गया।
- दलित पीड़िता के अपहरण मामलें को पहली एफआईआर मे अंकित नही किया गया जिसके चलते 2 फरवरी को अलग से मुकदमा लिखा गया। अभियुक्तों की गिरफ्तारी को 18 दिन तक दोनों महिलाओं ने बाँदा अशोक लाट पर आमरण अनशन किया।
- आमरण अनशन और सीओ अतर्रा की पक्षपाती कार्यवाही से अवसादग्रस्त दोनों महिला विधानसभा लखनऊ पहुंची तब दबाव मे सीओ की गैरहाजिरी पर थाना प्रभारी ने अपर एसपी के निर्देश पर राजाभैया को हिरासत मे लिया।
- चार अभियुक्त क्रमशः शिवकुमार गर्ग उर्फ नन्ना, विजयबहादुर, मुबीन खान,शिराज अहमद अभी तक फरार है और सीओ अतर्रा मौन है।
- हाईकोर्ट मे राजाभैया की याचिका संख्या 226/2025 और 3861/2025 आपस मे कनेक्ट है। जिसमें मुकदमा संख्या 0314/24 का गिरफ्तारी स्टे राजाभैया के अपहरण केस मे जेल जाते ही खत्म हुआ है। सीओ झूठ बोल रहें है।
- हाईकोर्ट मे राजाभैया की स्टे याचिका 226/2025 व अपहरण एफआईआर निरस्तीकरण याचिका 3861/25 आपस मे लिंक है इसलिए स्टे का अब कोई अर्थ नही रह गया है।
- अपहरण केस मे जेल गए राजाभैया की जमानत बाँदा सेशन कोर्ट विशेष न्यायालय एससी.एसटी से खारिज हो चुकी है। अब हाईकोर्ट मे याचिका संख्या 2210/2025 बेल के लिए पड़ी है। जिसका याचिका संख्या 226/25 व 3861/2025 से कोई वास्ता कानूनी नही है। इसलिए चार फरार अभियुक्तों को गिरफ्तार न करना सीओ अतर्रा की मिलीभगत को बेपर्दा करता है।
- वरिष्ठ पुलिस अफसरों को गुमराह करने मे माहिर सीओ / आईओ अतर्रा लगातार राजाभैया व उससे जुड़े लोगों को संरक्षण दिये है जो दोनों पीड़िता के जींवन को खतरे मे डाल सकता है। वहीं जांच को प्रभावित कर रहा है।
- अब तक चार बार आईओ बदलने को दोनों पीड़िता पत्राचार आला अफसरों को की है लेकिन लचर कार्यवाही से एक्शन नही हुआ है।
बाँदा। स्थानीय मीडिया की गिद्ध नजर जिस तर्ज पर तीन व्यापारियों से जुड़े दुष्कर्म / मानव तस्करी मामले पर है वह राजाभैया यादव / चिंगारी गिरोह सेक्स रैकेट / दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म / अपहरण / पीड़िता को जान से मारने की साजिशों पर चुप्पी साधे है। बाँदा के थाना अतर्रा मे 17 दिसंबर को मुकदमा अपराध संख्या 0314/24 मे नामजद राजाभैया यादव व चिंगारी संयोजिका मुबीना खान अभी तक गिरफ्तारी से बचे है। वहीं दलित पीड़िता के साथ अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या के प्रयास मामले पर दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 043/25 मे राजाभैया ज़िला कारागार मे 21 फरवरी से है। जबकि चार मुख्य सहयोगी अभियुक्त सीओ अतर्रा के आशीर्वाद से फरार है। राजाभैया की गिरफ्तारी से लेकर 24 अप्रैल तक की पूरी आपबीती बीते गुरुवार को बाँदा सर्किट हाउस के डेल्टा सभागार मे गूंजती रही।
मौका था राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर व यूपी महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान की जनसुनवाई का। जिसमें आला पुलिस अफसरों / समस्त सीओ से लकदक सभागार मे अन्य पीड़ितों के साथ निवेदन पत्र लेकर पहुंची ग्राम बगदरी, मानिकपुर व अतर्रा ग्रामीण की राजपूत महिला ने सिलसिलेवार अपने प्रकरण की परतें खोली। वहीं सीओ अतर्रा प्रवीण कुमार यादव व सजातीय अभियुक्त राजाभैया के सांठगांठ को खोलकर रख दिया। गौरतलब है कि इस अवसर पर डेल्टा सभागार मे मौजूद पुलिस अफसरों के बीच दोनों महिलाओं की करुण वेदना सुनकर सन्नाटा खिंच गया। उधर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर, यूपी महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान व अन्य उपस्थित गणमान्य, वरिष्ठ पुलिस अफसरों के मध्य झूठ बोलते सीओ अतर्रा सार्थक तर्क नही दे सके। तब महिला आयोग की अध्यक्ष एवं बाँदा के नवनियुक्त तेजतर्रार युवा एसपी श्री पलाश बंसल जी ने अपर एसपी, डीआईजी श्री राजेश.एस की उपस्थिति मे सीओ अतर्रा प्रवीण यादव को दो दिन की मोहलत कार्यवाही करने को देते हुए न्याय करने की संवेदनशीलता से नसीहत दी है।
दोनों महिलाओं मे दलित पीड़िता ने बतलाया कि अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म मामले (इसमे राजाभैया जेल मे है) पांच माह बाद आईओ / सीओ अतर्रा ने उसका 23 अप्रैल को मेडिकल कराया है। जो 2 फरवरी को दर्ज एफआईआर के 24 घण्टे के अंतराल मे कानूनी हो जाना चाहिए। पांच माह बाद मेडिकल और नशीला पदार्थ सूंगाने की प्रयागराज मे जांच कराने की दुहाई बतलाती है कि सीओ अतर्रा जांच प्रक्रिया मे कितने ईमानदार है !!! आज पांच माह से न्याय को भटकती दोनों महिलाओं ने कहा कि ऐसी कोई देहरी नही बची जहां उन्होंने पत्र नही दिया। उन्होंने 18 दिन तक आमरण अनशन किया लेकिन बाँदा का पतनशील मौरम खदान प्रेमी मीडिया चुप रहा। लेकिन तीन व्यापारी उन्हें दिख रहें है। अलबत्ता राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर व यूपी महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा कि महिला आयोग उनके संज्ञान मे आने वाले हर केस पर नजर रखेगा।
महिलाओं के हिंसा व यौनाचार मामलों पर शिथिलता बर्दाश्त नही की जाएगी। अन्य पीड़िता भी इस दरम्यान प्रार्थना पत्र लेकर न्याय मांगती दिखी। देखना यह समसामयिक होगा कि इन तल्खियों भरी जनसुनवाई का सीओ अतर्रा की लचर व बाँदा पुलिस अफसरों के द्वारा निष्पक्ष कार्यवाही निर्देश पर कितना माकूल असर पड़ता है।