पांचवें चरण के चक्रव्यूह में फंस सकती हैं BJP की ये पांच सीटें

लोकसभा चुनाव के चार चरण बीत चुके हैं. अब बचे हुए तीन चरणों के प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां निर्णायक रूप से जोर लगा रही हैं. पांचवें चरण में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर सत्ता में दोबारा वापसी के लिए कोशिश कर रही बीजेपी को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. ये वे सीटें हैं जिन पर बीजेपी ने 2014 में पांच प्रतिशत या उससे भी कम वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

लद्दाख (जम्मू-कश्मीर), सतना (मध्य प्रदेश), मधुबनी (बिहार), करौली-धौलपुर (राजस्थान) और कौशांबी (उत्तर प्रदेश) ये वो पांच ऐसी सीटें हैं, जहां पर पांचवें चरण में मतदान होना है. पिछले लोकसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी ने जीती थीं.

लद्दाख (जम्मू-कश्मीर)

भौगोलिक रूप से लद्दाख भारत की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इसे बीजेपी के थुपस्तान छवांग ने मात्र 36 वोट यानी 0.03 फीसदी के अंतर से जीत ली थी. इस बार बीजेपी के लिए यहां पर मुकाबला आसान नहीं होगा, क्योंकि छवांग ने पिछले साल संसद और पार्टी की सदस्यता से इ​स्तीफा दे दिया था.

बेहद मामूली अंतर से जीत के अलावा बीजेपी इसलिए भी यहां दबाव में है क्योंकि कारगिल और लेह के निकाय चुनावों में भी बीजेपी का प्रदर्शन बेहद कमजोर था. अक्टूबर, 2018 में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.  

इस बार लद्दाख सीट पर बीजेपी ने जामयांग तेजरिंग नामग्याल को उतारा है. उनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी सज्जाद हुसैन से है, जिन्हें पीपुल्स डेमो​क्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का समर्थन प्राप्त है.

कौशांबी (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश की कौशांबी लोकसभा सीट पर भी बीजेपी के सामने सपा-बसपा गठबंधन कड़ी चुनौती पेश कर रहा है. अगर महागठबंधन अपने वोटरों को साधने में कामयाब हो जाता है तो बीजेपी के लिए यह सीट बचा पाना मुश्किल होगा. 2014 में इस आरक्षित सीट पर बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर ने 4.72 फीसदी यानी 42,900 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. सोनकर इस बार भी बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं.

वहीं गठबंधन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इंद्रजीत सरोज को उतारा है. इसके अलावा यहां पर कांग्रेस और जनसत्ता दल-लोकतांत्रिक ने भी उम्मीदवार उतारा है. जनसत्ता दल-लोकतांत्रिक प्रतापगढ़ के बाहुबली राजा भैया की पार्टी है. इसने शैलेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है. शैलेंद्रकुमार ने 2009 में सपा के टिकट से यहां पर जीत हासिल की थी.

करौली-धौलपुर (राजस्थान)

राजस्थान की करौली-धौलपुर सीट पर बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है. 2014 में बीजेपी के मनोज राजोरिया ने कांग्रेस प्रत्याशी लेखीराम को 3.22 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था. 2009 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा ने मनोज राजोरिया को हराया था.

करौली-धौलपुर सीट आरक्षित सीट है, जहां पर बैरवा और जाटव समुदाय निर्णायक स्थिति में हैं. इसके अलावा गुर्जर और मीणा भी अच्छी संख्या में हैं. राजपूत, ब्राह्मण और मुस्लिमों की भी अच्छी संख्या है. इस बार मनोज राजोरिया का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी संजय कुमार जाटव से है.

मधुबनी (बिहार)

बिहार की मधुबनी सीट पिछले दो चुनावों से बीजेपी के पास है. इस बार बीजेपी यहां तीसरी बार वापसी के लिए मैदान में है. 2014 में हुकुम देव नारायण ने राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को मात्र 2.39 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था. इस बार बीजेपी ने चार बार सांसद रह चुके हुकुम देव नारायण के बेटे अशोक यादव को टिकट दिया है. उनका मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी बद्री पुर्बे से है.

बद्री पुर्बे दरभंगा के कारोबारी हैं और विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार हैं. मधुबनी सीट पर ब्राह्मण की जनसंख्या 35 फीसदी है जो कि निर्णायक स्थिति है. इसके अलावा मुस्लिम20 फीसदी और निशाद 10 फीसदी हैं.

सतना (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश की सतना लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने 2014 में कांग्रेस के अजय सिंह को 0.95 फीसदी यानी 8,688 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार गणेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी से है.

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में का मतदान 6 मई को होगा. इस चरण में सात राज्यों- बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 50 सीटों के लिए मतदान होना है. पांचवें चरण में सभी 50 सीटों पर कुल 656 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा.

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पांचवें चरण के चक्रव्यूह में फंस सकती हैं BJP की ये पांच सीटें

लोकसभा चुनाव के चार चरण बीत चुके हैं. अब बचे हुए तीन चरणों के प्रचार के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां निर्णायक रूप से जोर लगा रही हैं. पांचवें चरण में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर सत्ता में दोबारा वापसी के लिए कोशिश कर रही बीजेपी को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. ये वे सीटें हैं जिन पर बीजेपी ने 2014 में पांच प्रतिशत या उससे भी कम वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.

लद्दाख (जम्मू-कश्मीर), सतना (मध्य प्रदेश), मधुबनी (बिहार), करौली-धौलपुर (राजस्थान) और कौशांबी (उत्तर प्रदेश) ये वो पांच ऐसी सीटें हैं, जहां पर पांचवें चरण में मतदान होना है. पिछले लोकसभा चुनाव में ये पांचों सीटें बीजेपी ने जीती थीं.

लद्दाख (जम्मू-कश्मीर)

भौगोलिक रूप से लद्दाख भारत की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इसे बीजेपी के थुपस्तान छवांग ने मात्र 36 वोट यानी 0.03 फीसदी के अंतर से जीत ली थी. इस बार बीजेपी के लिए यहां पर मुकाबला आसान नहीं होगा, क्योंकि छवांग ने पिछले साल संसद और पार्टी की सदस्यता से इ​स्तीफा दे दिया था.

बेहद मामूली अंतर से जीत के अलावा बीजेपी इसलिए भी यहां दबाव में है क्योंकि कारगिल और लेह के निकाय चुनावों में भी बीजेपी का प्रदर्शन बेहद कमजोर था. अक्टूबर, 2018 में हुए निकाय चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.  

इस बार लद्दाख सीट पर बीजेपी ने जामयांग तेजरिंग नामग्याल को उतारा है. उनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी सज्जाद हुसैन से है, जिन्हें पीपुल्स डेमो​क्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) का समर्थन प्राप्त है.

कौशांबी (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश की कौशांबी लोकसभा सीट पर भी बीजेपी के सामने सपा-बसपा गठबंधन कड़ी चुनौती पेश कर रहा है. अगर महागठबंधन अपने वोटरों को साधने में कामयाब हो जाता है तो बीजेपी के लिए यह सीट बचा पाना मुश्किल होगा. 2014 में इस आरक्षित सीट पर बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर ने 4.72 फीसदी यानी 42,900 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. सोनकर इस बार भी बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं.

वहीं गठबंधन ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इंद्रजीत सरोज को उतारा है. इसके अलावा यहां पर कांग्रेस और जनसत्ता दल-लोकतांत्रिक ने भी उम्मीदवार उतारा है. जनसत्ता दल-लोकतांत्रिक प्रतापगढ़ के बाहुबली राजा भैया की पार्टी है. इसने शैलेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है. शैलेंद्रकुमार ने 2009 में सपा के टिकट से यहां पर जीत हासिल की थी.

करौली-धौलपुर (राजस्थान)

राजस्थान की करौली-धौलपुर सीट पर बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है. 2014 में बीजेपी के मनोज राजोरिया ने कांग्रेस प्रत्याशी लेखीराम को 3.22 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था. 2009 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा ने मनोज राजोरिया को हराया था.

करौली-धौलपुर सीट आरक्षित सीट है, जहां पर बैरवा और जाटव समुदाय निर्णायक स्थिति में हैं. इसके अलावा गुर्जर और मीणा भी अच्छी संख्या में हैं. राजपूत, ब्राह्मण और मुस्लिमों की भी अच्छी संख्या है. इस बार मनोज राजोरिया का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी संजय कुमार जाटव से है.

मधुबनी (बिहार)

बिहार की मधुबनी सीट पिछले दो चुनावों से बीजेपी के पास है. इस बार बीजेपी यहां तीसरी बार वापसी के लिए मैदान में है. 2014 में हुकुम देव नारायण ने राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को मात्र 2.39 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था. इस बार बीजेपी ने चार बार सांसद रह चुके हुकुम देव नारायण के बेटे अशोक यादव को टिकट दिया है. उनका मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी बद्री पुर्बे से है.

बद्री पुर्बे दरभंगा के कारोबारी हैं और विकासशील इंसान पार्टी के उम्मीदवार हैं. मधुबनी सीट पर ब्राह्मण की जनसंख्या 35 फीसदी है जो कि निर्णायक स्थिति है. इसके अलावा मुस्लिम20 फीसदी और निशाद 10 फीसदी हैं.

सतना (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश की सतना लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने 2014 में कांग्रेस के अजय सिंह को 0.95 फीसदी यानी 8,688 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार गणेश सिंह का मुकाबला कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी से है.

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में का मतदान 6 मई को होगा. इस चरण में सात राज्यों- बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 50 सीटों के लिए मतदान होना है. पांचवें चरण में सभी 50 सीटों पर कुल 656 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा.

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