पत्रकारिता के जीवन में जब हर वर्ष दिसंबर महीना आता….

धोखे से बचें
पत्रकारिता के जीवन में जब हर वर्ष दिसंबर महीना आता है तो हम वर्षभर की खास-खास घटनाओं को संकलित करके उनका ब्यौरा न्यूज के व्यूज को लेकर प्रकाशित करते रहते हैं।

पहली बार एक चौंकाने वाली बात यह सामने आयी है कि पूरा ही साल कोरोना महामारी के हमले को लेकर बीत गया। हर रोज एक ही खबर तय होने लगी

कि कोरोना से देश और दुनिया में कितने लोग मरे और कितने संक्रमित हुए। अब जबकि कोरोना पूरे देश में लगभग एक करोड़ लोगों की जान ले चुका है

और हमारे यहां भारत में भी छह लाख लोग मारे जा चुके हैं हालांकि हमारा रिकवरी रेट दुनिया के बाकी देशों से बेहतर है क्योंकि हमने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए

मास्क का प्रयोग किया है लेकिन अब जबकि वर्ष खत्म होने जा रहा है तो इसके साथ ही एक अच्छी न्यूज सामने आ गयी

जो कोरोना की वैक्सीन अर्थात टीके से जुड़ी है। इसका स्वागत उस दिन से किया जा रहा है जिस दिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री के अलावा हमारे एम्स के निदेशक डाक्टर गुलेरिया ने वैक्सीन को भारत में लाये जाने का ऐलान किया

लेकिन हर एक अच्छी चीज के साथ एक बुरी चीज भी साथ ही शुरू हो जाती है।


आजकल सोशल मीडिया पर एक खबर सबसे ज्यादा चल रही है जो कोरोना की वैक्सीन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन से जुड़ी है।

आपके मोबाइल पर बैंकों से लोन लेने की कॉल्स अक्सर आती रहती है। आजकल मोबाइल पर एक कॉल आ रही है जिसमें आपको मोबाइल पर कोरोना की वैक्सीन चाहिए या नहीं चाहिए यह सवाल पूछा जा रहा है। जाहिर सी बात है कि आप इंकार नहीं करेंगे।

आप वैक्सीन के लिए हां कहेंगे तो कॉलर कहता है कि हम आपको दवा देने के लिए रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। कृपया अपना आधार कार्ड नंबर दीजिए आपको यही लगेगा

कि यह हैल्थ सर्विस की ओर से सुविधा है और आप उस पर यकीन कर लेते हैं। अब अगला कदम देखिए कॉलर आपको कहता है कि हम आपको ओटीपी भेज रहे हैं

अर्थात वन टाईम पासवर्ड। आप इसे पढि़ए और हमें दे दीजिए। जैसे ही आप उन्हें भेजेंगे आपके बैंक अकाउंट पर इसकी मार पड़ सकती है।

कोरोना वैक्सीन की आड़ को लेकर साइबर लूटेरों ने यह जाल बिछा दिया है। कृपया इससे सावधान रहिए।

सोशल मीडिया पर इसी तरह कोरोना वैक्सीन को लेकर लाखों लोग एक दूसरे को सावधान रहने की चेतावनी दे रहे हैं।

डिजिटल दुनिया में कितने ही लोगों के साथ फ्रॉड होने की खबरें अखबारों की सुखियां बन रही हैं।

एटीएम का नंबर, पासवर्ड और बैंक खातों से पैसा निकलवाने संबंधी साइबर क्राईम बढ़ रहे हैं।

पुलिस बहुत कुछ कर रही है लेकिन अब कोरोना महामारी की वैक्सीन की आड़ को लेकर अगर इस तरह के केस सामने आ रहे हैं तो यह एक खतरे की घंटी है

और हम समझते हैं कि सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय को एक्शन लेकर लोगों को अलर्ट कर देना चाहिए कि वैक्सीन रजिस्ट्रेशन के मामले में उसने एजेंसी को अभी अधिकृत नहीं किया।

सरकार खुद ऐसे फ्रॉड संगठनों का पता लगाये जो सोशल मीडिया पर इस किस्म का दुस्प्रचार करते हुए लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं।


कोरोना के मामले में अभी तीन दिन पहले ही हिंद समाचार पत्र प्रकाशन समूह के संपादक रहे अमर शहीद रमेश चंद्र जी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर हम हर साल हैल्थ कैंप लगाते थे

लेकिन इस बार हैल्थ वेबिनार आयोजित किया जिसमें मुख्य आयोजक हर्ट केयर फाउंडेशन के संस्थापक पद्मश्री डा. के.के. अग्रवाल तथा मैंने स्वयं लोगों से कोरोना को लेकर अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने का आह्वान किया साथ ही

अनेक अन्य डॉक्टरों ने भी लोगों से अपील की है कि कैसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किस तरह किन-किन फलों-सब्जियों का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है,

यह मशवरा डाक्टरों ने दिया है। अब लोगों को हैल्थ के प्रति जागरूक तो बना सकते हैं लेकिन बीमारी के राष्ट्र स्तरीय

इलाज को लेकर अगर लूटपाट डिजिटल की दुनिया में उतर रही है तो सचमुच कुछ करना ही होगा। लोग पहले ही कोरोना के जाने का इंतजार कर रहे हैं

कि इसकी नई किस्म के ब्रिटेन से आने के बाद और हड़कंप मचा हुआ है लेकिन साइबर लुटेरे नए-नए तरीके ढूंढ ही लेते हैं। फिर भी जैसे तैसे लोग कोरोना को झेल रहे हैं

और सरकार के साथ-साथ हमारे डाक्टरों, हैल्थ कर्मियों, नर्सों, मीडिया के अलावा कई?अन्य संगठनों ने अपनी ड्यूटी शिद्दत से निभाई?है।

अब यह विचित्र लूटपाट अगर चल रही है तो अच्छाई?से जुड़ी एक बुराई के जन्म लेने की ही बात है जिसका खातमा होना ही चाहिए। एक-दूसरे को लोग

इसी सोशल मीडिया पर अलर्ट रहने के लिए जुट गए हैं तो साइबर लुटेरे अपना काम नहीं कर पायेंगे, इस मामले में सरकार से भी एक्शन की अगर उम्मीद की जा रही है तो वह गलत नहीं है।

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