@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
“यह सूचना पट विगत 20 दिन पहले पुनः लगा दिया गया था। कार्य की व्यस्तता से खबर आज लिखी जा रही है। तस्वीर नए सूचना पट की जारी है…. पहली फ़ोटो नए सूचना पट की दिसंबर 2024 है। एवं दूसरी तस्वीर गुमशुदा सूचना पट की है जो वर्ष 2022-23 मे लगा था।”
बाँदा। “सूचना संसार” ने विगत दिनों लगातार दो कड़ियों मे तिन्दवारी वन रेंज के खरेई वन ब्लाक पंचम एवं द्वितीय से खबर ग्राउंड पर जाकर की थी। साथ ही इस पर वीडियो खबर भी की गई थी। गौरतलब है कि इस वन ब्लाक क्षेत्र के ब्लाक द्वितीय मे 8 हजार पौधे 20 हेक्टेयर मे और ब्लाक पंचम मे 6 हजार पौध वर्ष 2022-23 मे बीज रोपण से लगे थे। यहां कुल 14 हजार पौध तैयार होने का वन विभाग का दावा था। क्षेत्र के फारेस्ट गार्ड ने इसकी पुष्टि की लेकिन वन रेंजर से फारेस्ट गार्ड तक ने उक्त पर खर्च बजट नही बताया है। वहीं वनभूमि मे लगा सूचना पट जो गत वर्ष मौरम खंड 4 चलने पर खदान संचालक ने वनविभाग कर्मचारियों की मिलीभगत से उखाड़ दिया था। जिससे मौरम ट्रक परिवहन आसानी से हो सके वह खबर के बाद पुनः लगा दिया गया है। सूचना संसार की खबर से विचलित मूल रूप से जनपद ललितपुर निवासी वनरेंजर व नवनियुक्त फारेस्ट गार्ड मे हलचल मची तो उन्होंने अपने निजी सूत्रों से सूचना संसार के संवाददाता से वार्ता कराई। सूचना पट की जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी संजय अग्रवाल के कार्यकाल मे यह पौधरोपण बीज रोपण से हुआ था। तभी सूचना पट लगा था। इसको दबंग मौरम खदान खंड 4 के ठेकेदार ने उखाड़ दिया था ताकि वनभूमि से ओवरलोडिंग व परिवहन निकासी हो सके। इस मामले मे तत्कालीन डीएफओ ने क्या कार्यवाही की यह उन्हें खबर नही है। अलबत्ता वार्ता के बाद उन्होंने अपने पर कार्यवाही के डर से नया सूचना पट लगवा दिया है।
नीचे सूचना संसार की पड़ताल वीडियो खबर लिंक है
https://youtu.be/0Q0ecIp6h3M?si=uiiXv1ClL6jMA9dS
नीचे नवम्बर माह की रिपोर्ट लिंक है-
https://soochanasansar.in/forest-office-banda-plantation-2022-23/
खरेई ग्रामपंचायत जलक्रांति अभियान मे जलग्राम चयनित हुआ था,पौधे सूख रहे-
वन ब्लाक खरेई को प्रधानमंत्री जी ने जलक्रांति अभियान मे देश के अन्य जलग्राम के साथ ‘जलग्राम’ घोषित किया था। केन नदी से लगा हुआ यह क्षेत्र पानीदार था लेकिन आज ताबड़तोड़ रातदिन मौरम खनन से डेजर्ट / सूखा व जलसंकट ग्रस्त हो रहा है। सरकारी नलकूपों के हालात बुरे है। हर घर नल जल योजना असफल है। वहीं वन ब्लाक मे बीजा रोपण से उगे 14 हजार पौधों मे अधिकांश पौधें सूख चुके है। वनरेंजर मुताबिक विभाग को पौधरोपण के बाद पानी डालने के किये कोई अलग से बजट व्यवस्था नही होती है। यह वर्षा जल पर निर्भर रहता है। वनविभाग ने वाचर भी लगा रखे है लेकिन पौधों पर पानी डालने से वे भी बचते है। फिलहाल सूचना पट लगने से इलाके खाशकर सांडी व खरेई की खदान मसलन खंड 77 को खासी परेशानी हो सकती है। जाहिर है वे भी वनविभाग को सूचना पट के लिए लाइजनिंग करने का काम कर सकतें है। देखना होगा कि यह सूचना पट कब तक टिकाऊ रहता है। सूचना संसार की नजर इस पर बनी रहेगी।