सियासत का केंद्र बन चुके सिंगुर का अंगूर किसके लिए निकलेगा खट्टा|

तृणमूल कांग्रेस को बंगाल की सत्ता दिलाने में हुगली की सबसे अहम भूमिका रही है। इसी जिले के सिंगुर में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी के आंदोलन से राज्य में परिवर्तन की हवा चली थी। सिंगुर से टाटा मोटर्स के लखटकिया कार कारखाने की विदाई हुई तो ममता को सत्ता मिली। सियासत का केंद्र बन चुके सिंगुर पर हर चुनाव में पार्टियों की नजर रहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हुगली जिले में चुनावी दशा-दिशा सिंगुर ही तय करेगा। यहां के लोग जिसे समर्थन देंगे, जिले में उसी का झंडा लहराएगा। देखना यह है कि सिंगुर का अंगूर किसके लिए मीठा होता है और किसके लिए खट्टा।

डगमगाने लगा है तृणमूल से जुड़ा दो दशक लंबा विश्वास : बंगाल में परिवर्तन भले ही 2011 में हुआ, लेकिन सिंगुर में 2001 में ही इसने दस्तक दे दी थी। तृणमूल के रवींद्रनाथ भट्टाचार्य पिछले 20 वर्षो से सिंगुर के विधायक हैं। उससे पहले कभी वाममोर्चा तो कभी कांग्रेस यहां जीतती आ रही थी। दो दशकों का विश्वास अब डगमगाने लगा है। पिछले लोकसभा चुनाव में हुगली सीट पर भाजपा की जीत इसकी पुष्टि कर रही है। सिंगुर विधानसभा सीट इसी संसदीय क्षेत्र में है जहां भाजपा ने अच्छी-खासी बढ़त दर्ज की है। 2011 में पहली बार सत्ता में आई तृणमूल ने हुगली की 18 सीटों में से 16 पर शानदार जीत दर्ज की थी। 2016 में भी उसे इतनी ही सीटें मिलीं। 2011 के विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा को यहां महज दो सीटें मिली थीं जो पिछले विधानसभा चुनाव में घटकर एक हो गई। 2011 के विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट मिली। चांपदानी से विजयी अब्दुल मन्नान विधानसभा में विरोधी दल के नेता बने।

Bengal Chunav The land of the anti land acquisition movement will decide  the electoral direction in Hooghly jagran special

जिले में बढ़ी है भाजपा की पैठ : भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां खाता नहीं खोल पाई थी, लेकिन हुगली लोकसभा सीट पर कब्जे के बाद उसकी उम्मीदें बढ़ी हैं। भाजपा आरामबाग लोकसभा सीट पर भी महज 1,142 वोट से हारी है। इसे लेकर भी वह काफी उत्साहित है। हुगली जिले की तीसरी लोकसभा सीट श्रीरामपुर से तृणमूल के कल्याण बनर्जी तीसरी बार जीतकर संसद जाने में जरूर कामयाब रहे, लेकिन भाजपा के देवजीत राय से उन्हें भी अच्छी चुनौती मिली। उनके संसदीय क्षेत्र में भी भाजपा का वोट शेयर 16.08 फीसद बढ़ा है जो कहीं न कहीं सत्ताधारी दल को परेशान कर रहा है।

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