सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल नौसेना के युद्धपोत आइएनएस विराट को ‘कबाड़’ बनने से रोका

Image result for Supreme Court currently prevents Navy warship INS Virat from becoming 'junk'

भारतीय नौसेना का लगभग 30 सालों तक हिस्‍सा रहे युद्धपोत आइएनएस विराट को डिस्मैन्टल (कबाड़) करने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना की शान रहे इस युद्धपोत की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। बता दें कि इस युद्धपोत को नौसेना की सेवा से अब बाहर कर दिया गया है। विराट को गुजरात में डिस्‍मैन्‍टल किया जाना है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस पर रोक लग गई है।

विराट को डिस्‍मैंटल न किए जाने की गुहार सुप्रीम कोर्ट से एक याचिका में लगाई है। बता देंकि आइएनएस विराट को 1959 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया था। तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था। ब्रिटिश नौसेना से भारत ने इसे खरीदा। भारतीय नौसेना में इसे 12 मई 1987 में शामिल किया गया। इसके बाद नौसेना के कई अभियानों का ये युद्धपोत हिस्‍सा रह। आज आइएनएस विराट भारत के इतिहास में दर्ज हो गया है।

उल्‍लेखनीय है कि भारतीय नौसेना ने विराट को मार्च 2017 में सेवा से हटा दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2019 को संसद में बताया कि भारतीय नौसेना के साथ विचार-विमर्श के बाद आइएनएस विराट को डिस्मैन्टल करने का फैसला किया गया। हालांकि, एक कंपनी ने सरकार के इस फैसले पर अपत्ति जताई है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है। याचिका दायर करने वाली कंपनी ने आइएनएस विराट को एक म्‍यूजियम बनाना का सुझाव दिया है। नौसेना का ये युद्धपोत 11 लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुका है। यह दूरी पृथ्वी के 27 चक्कर लगाने के बराबर है।

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