विद्याधाम और चिंगारी के राजाभैया को संरक्षण देने का पीड़िताओं ने लगाया आरोप... | Soochana Sansar

विद्याधाम और चिंगारी के राजाभैया को संरक्षण देने का पीड़िताओं ने लगाया आरोप…

“मुख्यमंत्री दरबार से आमरण अनशन तक की चेतावनी, न्याय को भटकती बाँदा मे दो महिलाओं की नजीर”

बाँदा। उत्तरप्रदेश के बाँदा मे पिछले दिसंबर माह से भटक रहीं दो पीड़िताओं की यातना कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। यह दोनों महिला विद्याधाम समिति / चिंगारी महिला संगठन मे काम करती थी। बाँदा के कस्बा तहसील अतर्रा मे संचालित उक्त दोनों बैनर विद्याधाम और चिंगारी को राजाभैया यादव लगभग दो दशक वर्ष 2002 से चला रहें है। इस दरम्यान अपने सामाजिक छपास स्टंटबाजी को लेकर अक्सर चर्चा मे रहने वाले इस व्यक्ति राजाभैया ने ही कभी बुंदेलखंड के बाँदा अंतर्गत ग्राम गुढ़ा के सुलखान का पुरवा मे तथाकथित ‘घास की रोटी’ खिलाकर मीडिया मे सनसनी पैदा कर दी थी।

तत्कालीन बाँदा डीएम श्री सुरेश कुमार प्रथम के कार्यकाल मे हुआ यह सोशल ड्रामा ऐसा वायरल हुआ कि बाँदा से ललितपुर की सहरिया जनजाति फिर जालौन तक पहुंच गया। मीडिया भी कम करतबबाज नही थी तो इक्कीसवीं सदी मे महाराणा प्रताप का युग ‘घास की रोटी’ को वापस ले आई थी। एनडीटीवी के दिवंगत पत्रकार कमाल खान को इस घास की रोटी और फिकारा की खबर पर रामनाथ गोयनका एवार्ड तक मिल गया था। गौरतलब है कि विद्याधाम समिति के सचिव राजाभैया यादव ही चिंगारी को संचालित करते है। यह अलग बात है कि चिंगारी महिला इकाई है। बीते दिसंबर माह को अचानक दो महिलाओं ने राजाभैया यादव पर यौन शोषण, सिलसिलेवार व्यभिचार की घटना, आर्थिक उत्पीड़न और संस्था के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर हल्ला बोल कर दिया था। मानिकपुर के ग्राम बगदरी और अतर्रा ग्रामीण रहवासी दो महिलाओं ने क्रमशः कई बार भागदौड़ के बाद राजाभैया यादव, सहयोगी मुबीना खान और शिवकुमार गर्ग पर दो अलग-अलग मुकदमे लिखवाए थे।


क्या है दोनों पीड़िताओं के आरोप –

इस प्रकरण से जुडी पुरानी खबर के लिए नीचे दिया लिंक खोले –

https://soochanasansar.in/atrra-thana-me-do-fir-darj-aur-do-mahilayo-ke-161-thana-atrra-and-164-ke-byan-court-me-hone-ke-bavjud-raja-bhaiya-aajad-hain-kanun-vyavastha-hai/


विद्याधाम समिति के सचिव राजाभैया यादव पर अतर्रा थाने मे 17 दिसंबर को मुकदमा अपराध संख्या 314/2024 व 0315/2024 लिखवाने वाली दोनों पीड़िताओं ने गत सोमवार 6 जनवरी 2025 को डीआईजी बाँदा के समक्ष उपस्थित होकर मुकदमों के आईओ / विवेचनाकर्ता क्रमशः अतर्रा थाने के एसआई श्री काशीनाथ यादव एवं अतर्रा क्षेत्राधिकारी श्री प्रवीण कुमार यादव पर गम्भीर आरोप लगाएं है। उन्होंने आरोपी अभियुक्तों राजाभैया यादव, मुबीना खान, शिवकुमार गर्ग को अतर्रा पुलिस द्वारा खुला संरक्षण देने का आरोप लगाया है। वहीं उन्होंने बाँदा समेत प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों एवं सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिए अपने 6 जनवरी के प्रार्थना पत्र मे स्थानीय पुलिस व्यवस्था और राजाभैया के जुगाड़तंत्र का हर तानाबाना खोल दिया है। पीड़िताओं ने शिकायत पत्र के माध्यम से बताया कि वे विगत दिसंबर माह से लगातार पुलिस अधिकारियों की चौखट 15 दिन दौड़भाग करने के बाद मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 थाना अतर्रा धारा 376, 504, 506, 120 बी व एससी.एसटी एक्ट के तहत अभियुक्त राजाभैया यादव सचिव विद्याधाम समिति एवं महिला चिंगारी संगठन की संयोजिका व राजाभैया यादव की कारखास मुबीना खान पर दर्ज करा सकी है। वहीं 14 दिसंबर से 17 दिसंबर की सुबह तक राजाभैया यादव और उसके सहयोगियों ने ग्राम बगदरी निवासी पीड़िता को अतर्रा थाने के बाहर से उठवा लिया था। उन्होंने बताया कि दिनांक 16 दिसंबर को इसकी एक अन्य पीड़िता निवासी जरुआ चौकी, बदौसा रोड अतर्रा के द्वारा जब मेरी गुमशुदगी का वीडियो वायरल किया गया तो 17 दिसंबर की सुबह उसको मानिकपुर के ओहन जंगल रेलवे लाइन पर अचेतावस्था और गम्भीर हलात मे डियूटी कर रहे लाइन मैन ने पड़ा पाया था। वे बतलाती है कि उसको स्टेशन मास्टर ने सुरक्षा मे लेकर परिचितों के मोबाइल नम्बर पर घटना की जानकारी दी थी। तब बाँदा से मेरे परिचितों ने पहुंचकर मुझे मौके पर गई 112 नम्बर पुलिस एवं सरैयां चौकी से सुपुर्दगी ली थी। बकौल पीड़िता इसके बाद बाँदा आकर श्रीमान डीआईजी बाँदा व पुलिस अधीक्षक बाँदा के आदेश पर मुकदमा लिखा गया है। उक्त पीड़िता ने शिकायत पत्र मे लिखा कि ग्राम बगदरी रहवासी महिला के तरफ से दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट तहरीर मे अतर्रा एसओ श्री कुलदीप तिवारी ने प्रथम दृष्ट्या तो अपहरण और आईटी एक्ट, धारा 509 और राजाभैया यादव के वित्तीय गबन, अवैध संपति बनाने की धारा शामिल नही की है। साथ ही क्षेत्राधिकारी / सीओ अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव और उनके पीआरओ पूरी तरह अभियुक्त राजाभैया यादव, सह अभियुक्त मुबीना खान को खुला संरक्षण दिए है। बतलाते चले कि इस बात का प्रार्थना पत्र उक्त महिला ने गत 19 दिसंबर 2024 को श्रीमान डीआईजी बाँदा को एक अन्य महिला के साथ संयुक्त रूप से उपस्थित होकर दिया था। वो शिकायत आईआरजीएस मे भी आनलाइन है। यहां यह महत्वपूर्ण है तथ्य है कि दोनों पीड़िताओं ने 29 दिसंबर 2024 को सीओ अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव को दिए प्रार्थना पत्र सहित पूर्व से अब तक लगातार भेजे जा रहे पत्रों जिसमें देश के प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी, डीजीपी यूपी, डीआईजी व एसपी बाँदा आदि शामिल है। उन्हें मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी डाला गया था। बकौल पीड़िता आईआरजीएस पोर्टल पर की गई शिकायत के क्रम मे आईओ ने हमारे मुल्जिमान अभियुक्त राजाभैया यादव के बयान लेकर ही मनमर्जी करते हुए जांच रिपोर्ट लगा दी है। जबकिं बलात्कार और महिला हिंसा, यौन उत्पीड़न के मामलों पर महिला पक्ष के बयान ही विवेचना के पर्याप्त आधार होते है जिनसे आईओ आगे की कार्यवाही करता है। उन्होंने बताया कि हमारे ऑनलाइन सभी शिकायत पत्रों की संदर्भ संख्या क्रमशः 400170240218 दिनांक 18 दिसंबर 2024, संदर्भ संख्या 20017024023745 दिनांक 18 दिसंबर 2024, संदर्भ संख्या 60000240248358 दिनांक 19 दिसंबर 2024,संदर्भ संख्या 60000240253526 दिनांक 26 दिसंबर 2024 है। विडंबना है कि इन सबकी एक ही आख्या सीओ अतर्रा ने आरोपी के बयान लेकर लगाई है, यह सुनियोजित षडयंत्र है। जिससे साबित होता है कि अतर्रा थाने के आईओ श्री काशीनाथ यादव और सीओ अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव आगे क्या विवेचना करेंगे।

पीड़िताओं ने आईओ पर जातिवाद का आरोप लगाया है-


पीड़िताओं ने विवेचक पर घोर यादव जातिवाद से ग्रसित होने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा कि क्षेत्राधिकारी अतर्रा श्री प्रवीण कुमार यादव और उनके पीआरओ पर मुझे तनिक भी भरोसा नही रह गया है। यह मुझे फोन करके बतलाते है कि राजाभैया यादव लखनऊ और इलाहाबाद मे है जबकि वह अतर्रा स्थित अपने दफ्तर मे बैठकर मौज कर रहा है। पूरा सीओ कार्यालय जिस तरह अभियुक्त के साथ सांठगांठ किये है वह यह दर्शाता है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था और पारदर्शिता के नाम पर क्षेत्राधिकारी अतर्रा माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज को छल रहें है। पीड़िताओं के पत्र अनुसार उन्होंने लिखा कि “यहां यह भी अवगत कराना है कि पूर्व मे भी वर्ष 25 फरवरी 2016 को ग्राम अनथुआ निवासी पीड़िता सीमा विश्वकर्मा ने इसी राजाभैया यादव की संस्था कार्यकर्ता रहते हुए यौन शोषण और अभियुक्त के व्यभिचार, हिंसा से त्रस्त होकर अतर्रा थाने मे अपराध संख्या 037/2016 धारा 376(2 एफ), आईटी एक्ट मे लिखाया था। तत्कालीन आईओ ने राजाभैया यादव को 6 माह फरारी कटवाई और धारा 376 की चार्जशीट 354 मे तब्दील करके अपराधी को खुलेआम महिलाओं का शारीरिक शोषण करने को आजाद छोड़ दिया था। लगता है कि आज आठ साल बाद पुनः वही परिदृश्य सामने खड़ा है।” पीड़ितों की मानें तो उन्होंने क्षेत्राधिकारी अतर्रा से गुहार लगाकर परेशान होने का दावा किया है। वहीं राजाभैया यादव के प्रभाव और पहुंच के आगे नतमस्तक सीओ अतर्रा व अतर्रा पुलिस पर की शासन, प्रशासन की ईमानदार कानून व्यवस्था को बट्टा लगाने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा कि ऐसा लगता है कि अतर्रा थाने की पुलिस आरोपी अभियुक्त राजाभैया यादव की गिरफ्तारी नही करेगी। वो राजाभैया यादव को पूरा अवसर देकर हाईकोर्ट से स्टे व फरारी काटने की छूट दिए है। इस 6 जनवरी के शिकायत पत्र मुताबिक पीड़ितओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार जाने की विवशता का ज़िक्र करते हुए आमरण अनशन तक की बात लिखी है। देखना यह बड़ी बात होगी कि अतर्रा पुलिस एवं आला अधिकारी मामलें को कितनी पारदर्शीता से निस्तारण करते है। सवालों के चक्रव्यूह मे घिरी चिंगारी और विद्याधाम के राजाभैया “यादव-वाद” के अलम्बरदार नजर आ रहें है।

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