@आशीष सागर दीक्षित, बाँदा
“ज़िले के कर्मठ एवं निष्पक्ष एसपी श्री अंकुर अग्रवाल व डीआआईजी चित्रकूट मंडल के हस्तक्षेप पर बीते 17 दिसम्बर देर-रात मुकदमा लिखा गया है। बाँदा के अतर्रा तहसील के संजय नगर, बदौसा रोड निवासी राजाभैया विद्याधाम समिति एनजीओ / चिंगारी संगठन चलाते है। वैसे तो इससे पूर्व भी 25 फरवरी 2016 को इन पर ग्राम अनथुआ रहवासी एक लड़की जो इन्ही की संस्था मे दो साल से कार्यरत थी उन्होंने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें राजाभैया ने अपने कद व रसूख / अर्थ जुगाड़ को रस्ता बनाकर मुकदमा अपराध संख्या 037/ 2016 मे धारा 376 (2एफ),आईटी एक्ट आदि पर 354 मे आरोपपत्र की व्यवस्था कर ली थी। तब अतर्रा थाने से आईओ श्री राकेश पांडेय थे। आज 8 साल बाद पुनः इन्ही के चिंगारी संगठन से जुड़ी दो महिलाओं ने अलग-अलग स्तर पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए विद्याधाम के सचिव राजाभैया पर क्रमशः मुकदमा अपराध संख्या 0314/2024 व 0315/2024 लिखाया है। जिसमें प्रथम अनुसूचित जाति की महिला ने विस्तार से इस संस्था के काले कारनामों को खोलते हुए धारा 376, 504, 506, 120 बी,3 (2) एससी एसटी मे वाद दर्ज कराया है। वहीं दूसरी पीड़िता ने धारा 354,506 आईपीसी लिखी गई है। यह घटनाक्रम वर्ष 2020 के आसपास का है इसलिए बीएनएस ( भारतीय न्याय संहिता) की नई धाराओं की जगह आईपीसी मे मुकदमा लिखा है।”
बाँदा। बुंदेलखंड के बाँदा मे अतर्रा तहसील के निवासी राजाभैया संस्था जगत मे आने के वक्त से विवादित है। पहले इनकी संस्था का नाम ‘परागी लाल विद्याधाम समिति था। वर्ष 2013 से पूर्व मोहनपुर खलारी के निवासी अध्यापक यशवंत पटेल जिनकी धर्मपत्नी सुमनलता पटेल ग्राम प्रधान रहीं है। बाद मे आज ज़िला पंचायत सदस्य है से भूमि व विद्यालय संचालन मे विवाद के बाद राजाभैया ने यशवंत पटेल के बाबा का नाम मिटाकर संस्था को सिर्फ ‘विद्याधाम समिति’ नामांतरण झांसी चिट्स फर्म एंड सोसाइटी से करा दिया।
प्रकरण से जुड़ी पुरानी खबर का लिंक नीचे है –
https://soochanasansar.in/chingari-filed-a-fake-case-and-the-police-filed-a-fake-chargesheet/
इसके बाद चिंगारी संगठन बनाया गया जो गांवों मे महिला मुद्दों पर काम करने का दावा करता है। खासकर गांव की दलित व मुस्लिम समुदाय से आने वाली महिलाओं को चिंगारी से जोड़कर यह चिंगारी अपना संगठन संचालित करती है। संस्था का अपना एफपीओ ( बीज उत्पादन ) ग्राम भुजयारी पुरवा मे है। केंद्र सरकार इसके किये बड़ा बजट दे रही है। सूत्र बतलाते है इसमें घालमेल करके राजाभैया ठीकठाक आर्थिक उपार्जन कर रहें है। वहीं अंधेरी हिल्स मुम्बई, लोकमंच फंडिंग एजेंसी दिल्ली, समूह गठन आदि से फंड लेकर संस्था को सक्रिय किये रहते है। उल्लेखनीय है वर्ष 2016 मे जब ग्राम अनथुआ की लड़की का मुकदमा राजाभैया पर हुआ तब विद्याधाम मे एक्शन एड का बड़ा फंड किसान आत्महत्या, शिक्षा एडवोकेसी आदि पर आता था।
एक्शन एड ने अपना प्रोजेक्ट बाद मे वापस कर लिया था क्योंकि राजाभैया एक्शन एड की आंतरिक जांच मे दोषी पाए गए थे। आज वह लड़की चित्रकूट मे एक आयुर्वेदिक अस्पताल पर काम करती है। इधर विद्याधाम ने कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स फिर हासिल किए है। संस्था का एफसीआरए व आयकर से बचत को 80 जी, 12 ए भी है। बतलाते चले कि मानिकपुर के ग्राम बगदरी रहवासी चिंगारी से जुड़ी दलित महिला ने बीते 13 दिसंबर को एक प्रार्थना पत्र बाँदा अपर एसपी को एफआईआर लिखने वास्ते दिया था। वहीं कार्यवाही न होने पर आहत अतर्रा ग्रामीण की एक अन्य महिला ने अनुस्मारक पत्र पांच दिसंबर के बाद पुनः 13 दिसंबर को दिया था। इन दोनों शिकायत पत्रों की प्रतिलिपि आला अफसरों से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक डाक से भेजी गई है। इस दरम्यान मानिकपुर रहवासी पीड़िता 13 दिसंबर से अचानक गायब हो जाती है जिसकी चिंता मे 16 दिसंबर को सहयोगी पीड़िता व चिंगारी से जुड़ी महिला एक वीडियो सोशल मीडिया मे जारी करती है। अगले दिन 17 दिसंबर को मानिकपुर के ओहन जंगल मे रेलवे ट्रैक पर लाइन मैन को मिलती है। वह स्टेशन मास्टर को बतलाता है तब अचेतावस्था और चोटहिल हलात मे पीड़िता को स्टेशन लाकर बैठाके कुछ राहत दी जाती है। हल्का होश आने पर उससे नम्बर पूछकर बात कराई जाती है। गायब महिला की जानकारी मिलते ही दूसरी पीड़िता अपने पति व अन्य को मौके पर भेजकर क्राइम इंस्पेक्टर मानिकपुर, सीओ सिटी कर्वी, एसपी चित्रकूट, एलआईयू को जानकारी देती है। कुछ स्थानीय पत्रकारों को भी अवगत कराया जाता है लेकिन उनसे उम्मीद मुताबिक सहयोग नही मिलता है। खैर अब रील्स और खबर स्टंट के दौर मे ज़मीनी ग्राउंड रिपोर्ट की कद्र कौन करता है। अलबत्ता उक्त महिला को 112 नम्बर पुलिस स्टेशन से बरामद करके सरैंया पुलिस चौकी लाती है फिर फौरी लिखापढ़ी के पश्चात दूसरी पीड़िता के पति व दो महिलाओं के सुपुर्द करती है। वे लोग महिला को गम्भीर हलात मे बांदा लाते है फिर डीआआईजी आवास व एसपी आवास मे ले जाकर महिला की स्थिति से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया जाता है। बाँदा पुलिस अधीक्षक श्री अंकुर अग्रवाल जी व डीआआईजी चित्रकूट धाम मंडल के हस्तक्षेप बाद दोनों महिलाओं की एफआईआर अतर्रा थाने मे लिखी जाती है। 17 दिसंबर से आज तक लगातार पीड़िता ज़िला अस्पताल मे भर्ती है और चिकित्सा लाभ ले रही है। उसकी चोटों पर कुछ राहत है लेकिन केस के अतर्रा आईओ ज़िला अस्पताल आकर या महिला पुलिसकर्मी को भेजकर पीड़िता की जानकारी व 161 और 164 के मजिस्ट्रेट बयान नही लिए है। आज 19 दिसंबर को भी दोनों पीड़िता ने हस्ताक्षर युक्त शिकायत पत्र इस क्रम मे बाँदा पुलिस अधीक्षक सहित डीजीपी कानून व्यवस्था, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश को प्रेषण किये है। बड़ी बात है खबर लिखने वाले पत्रकारों को राजाभैया खेमे के पत्रकार तंज कर रहें है। वहीं स्थानीय प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे सर्दी पर रुपयों की गर्म रजाई उढ़ा दी गई है। पीड़िताओं ने बीते 18 दिसंबर को गुलाबी गैंग की कमांडर सुमन सिंह चौहान के सामने बतलाया कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट से जुड़े पत्रकारों को राजाभैया अपने भुजयारी पुरवा फार्म हाउस बुलाकर मछली व शराब की दावत देते है। उन्हें संस्था कार्यक्रम मे बुलाकर महिमामंडन होता है और फिर खबरों के बाजार से एनजीओ को फंड व सुर्खियों की व्यवस्था होती है। दिल्ली की एक महिला पत्रकार ने तो कुछ वर्ष पूर्व संस्था की पुरानी महिला कार्यकर्ता माया प्रजापति के साथ डफाई मे पत्थर खदानों पर फर्जी यौन शोषण की खबर कराई थी। तत्कालीन चित्रकूट डीएम की फजीहत हुई और पुलिस की बदनामी भी लेकिन जब पुलिस ने राजाभैया को थाने मे बन्द किया तो इन्होंने सारा ठीकरा माया पर फोड़ दिया। जिससे विवाद हुआ और माया ने नौकरी छोड़ दी थी। आज वही दिल्ली पत्रकार राजाभैया को केंद्र सरकार के सांसद माननीय अंबिका पाल से भेंट कराती है। इसके पूर्व राजाभैया ने कभी गुढ़ा कला के इलाके पर सुलखान का पुरवा मे समाजवादी सरकार के दौरान ‘घास की रोटी’ खिलाकर सनसनी बटोरी थी। बाद मे ललितपुर की सरहरिया जनजाति के बीच समाचार प्लस ने, एनडीटीवी के दिवंगत पत्रकार कमाल खान ने यह तथाकथित घास की रोटी खिलाई। सरकार की भद्द पिटी पर कमाल खान को अपने प्रेजेंटेशन हुनर की बदौलत रामनाथ गोयनका एवार्ड मिल गया था। इस घास की रोटी का खुलासा संवाददाता ने हिंदुस्तान के तत्कालीन वरिष्ठ संवाददाता बाँदा अमित त्रिपाठी के साथ किया और उस वक्त के जिलाधिकारी श्री सुरेश कुमार प्रथम का स्थानांतरण होने से बच गया। ‘चिंगारी मे सिकी घास की रोटी’ शीर्षक से खबर छपी थी। इसके बाद गांव कनेक्शन, इंडिया टुडे ने इसकी पोल खोल दी थी। कथित फिकारा मे सजी घास की रोटी से करतल के ग्राम बिल्हरका मे तत्कालीन डीएम हीरालाल के कार्यकाल मे गहरार नाले को राजाभैया ने भगीरथ बनकर मीडिया ट्रायल से नदी बनाया था।
दोनों पीड़िताओं ने लगाए गम्भीर आरोप-
उक्त दोनों महिलाओं ने राजाभैया पर बड़े गम्भीर आरोप लगाए है। जिसमें वित्तीय अनियमितता, आय से अधिक संपत्ति, काले धन को सफेद करना,महिलाओं से यौन शोषण, दलित होने के नाते वैसे काम देना मसलन लिपाई-पुताई, कपड़ों को धोना, डोनर की सेवा करना आदि। वहीं मानिकपुर की पीड़िता ने एफआईआर मे राजाभैया की कुछ उन महिलाओं के नाम खोले है जो आदतन राजाभैया के कहने पर लोगों के ऊपर फर्जी हरिजन एक्ट के मुकदमे लिखवाती है। उन्होंने चिंगारी संयोजिका मुबीना खान, राजाभैया के खासमखास शिव कुमार गर्ग उर्फ नन्ना को भी सह अभियुक्त बनाया है। फिलहाल राजाभैया आईओ की कृपा से अभी पुलिस हिरासत से दूर है वहीं दोनों पीड़िता ज़िला अस्पताल तो कभी आला अधिकारियों की चौखट पर समाजसेवा के कलयुगी दौर की कहानी सुना रहीं है। कार्यवाही की आस मे उनके साथ गुलाबी गैंग कमांडर सुमन सिंह चौहान भी टीम के साथ है। उधर एक और गुलाबी गैंग अध्यक्ष व बिगबॉस फेम संपत पाल ने अपने संगठन से 18 दिसंबर तक जुड़े होने के नाते मोबाइल वार्ता से टेलर के अंदाज मे राजाभैया की पैरवी करते हुए हनक मे लेने की कवायद कर डाली है। यह दो ऑडियो संवाददाता के पास सुरक्षित है। सोशल मीडिया पर वायरल भी है। देखना होगा कि दोनों पीड़िता राजाभैया से न्याय की इस बेला मे अदालत तक कितना संघर्ष करती है और यह लचर व्यवस्था राजाभैया का कितनी मजबूती से साथ देती है।